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________________ सोलसमं सतं : सोलहवां शतक पढमो उद्देसो : पहला उद्देशक संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद संगहणी गाहा १. अहिगरणि २. जरा ३. कम्मे, ४. जावतियं ५. गंगदत्त ६. सुमिणे य। ७. उवओगए. लोग ह. बलि १०. ओहि ११. दीव १२. उदही १३. दिसा १४. थणिते॥१॥ संग्रहणी गाथा १. अधिकरणी २. जरा ३. कर्म ४. यावत्क ५. गंगदत्त ६. स्वप्नं च। ७. उपयोग ८. लोक ६. बलि १०. अवधि ११. द्वीप १२. उदधि १३. दिशा १४. स्तनितः॥ संग्रहणी गाथा १. अहरन २. जरा ३. कर्म ४. यावत्क ५. गंगदत्त ६. स्वप्न ७. उपयोग ८. लोक ६. बलि १०. अवधि ११. द्वीप १२. उदधि १३. दिशा १४. स्तनित। वाउयाय-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव पज्जुबासमाणे एवं बयासी-अस्थि णं भंते! अधिकरणिंसि वाउयाए वक्कमति? वायुकाय-पदम् तस्मिन् काले तस्मिन् समये राजगृहं यावत् पर्युपासीनः एवमवादीत्-अस्ति भदन्त! अधिकरण्यां वायुकायः अवक्रामति? हन्त अस्ति। वायुकाय पद १. उस काल उस समय राजगृह नगर यावत् पर्युपासना करते हुए गौतम ने इस प्रकार कहा-भंते! क्या अधिकरण-अहरन में वायुकाय उत्पन्न होता है? हां, होता है। हंता अत्थि॥ २. से भंते! किं पुढे उद्दाइ, अपुढे उद्दाइ॥ गोयमा ! पुढे उदाइ, नो अपुढे उदाइ॥ सः भदन्त! किं स्पृष्टः उद्घाति? २. भंते! क्या वायुकायिक जीव स्पृष्ट होकर अस्पृष्टः उद्घाति। मरता है? अस्पृष्ट रह कर मरता है? गौतम! स्पृष्टः उद्घाति, नो अस्पृष्टः गौतम! स्पृष्ट होकर मरता है, अस्पृष्ट रह कर उद्घाति। नहीं मरता। ३. से भंते! किं ससरीरी निक्खमइ ? । असरीरी निक्खमइ? सः भदन्त! किं सशरीरी निष्क्रामति? अशरीरी निष्क्रामति? ३. भंते! क्या वायुकायिक जीव सशरीर निष्क्रमण करता है? अशरीर निष्क्रमण करता है? गौतम! वह स्यात् सशरीर निष्क्रमण करता है, स्यात् अशरीर निष्क्रमण करता है। गोयमा! सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ॥ गौतम! स्यात् सशरीरी निष्क्रामति, स्यात् अशरीरी निष्क्रामति। ४. से केणटेणं भंते! एवं बुच्चइ-सिय तत् केनार्थेन भदन्त! एवमुच्यते-स्यात् ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी सशरीरी निष्क्रामति स्यात्, अशरीरी निक्खमइ ? निष्क्रामति? गोयमा! वाउयायस्स णं चत्तारि गौतम! वायुकायस्य चत्वारि शरीरकाणि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए, प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-औदारिक:, वेउब्बिए, तेयए, कम्मए। ओरालिय- वैक्रियः, तेजसः कर्मकः। औदारिक- वेउब्बियाई विष्पजहाय तेयय-कम्मएहिं वैक्रिये विप्रजहाय तैजस-कर्मकाभ्यां निक्खमइ। से तेणटेणं गोयमा! एवं निष्कामति। तत् तेनार्थेन गौतम! ४. भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा हैवायुकायिक जीव स्यात् सशरीर निष्क्रमण करता है, स्यात् अशरीर निष्क्रमण करता है? गौतम! वायुकायिक जीव के चार शरीर प्रज्ञप्त हैं, जैसे-औदारिक, वैक्रिय, तैजस और कार्मण। वह औदारिक और वैक्रिय शरीर को छोड़कर तैजस और कार्मण शरीर के साथ निष्क्रमण करता है। गौतम! इस अपेक्षा से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003596
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2007
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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