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दसमो उद्देसो : दसवां उद्देशक
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद
छाउमत्थियसमुग्घाय-पदं १६८. कति णं भंते! छाउमत्थिय
समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा! छ छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा–वेयणासमुग्याए, एवं छाउमत्थियसमुग्धाया नेयव्या जहा पण्णवणाए जाव आहारग- समुग्यायेत्ति॥
छानस्थिकसमुद्घात-पदम्
छानस्थिक समुद्घात पद कति भदन्त! छाद्मस्थिकसमुद्घाताः १६८. भंते! छानस्थिक समुद्घात कितने प्रज्ञप्त प्रज्ञप्ताः?
हैं? गौतम! षट् छाद्मस्थिकाः समुद्घाताः गौतम! छाद्मस्थिक समुद्घात के छह प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-वेदनासमुद्घातः, एवं प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-वेदना समुद्धात, इस छाद्मस्थिकसमुद्घाताः नेतव्याः यथा प्रकार छाद्मस्थिक समुद्घात प्रज्ञापना की प्रज्ञापनायां यावत् आहारकसमुद्घातः भांति ज्ञातव्य है यावत् आहारक समुद्घात। इति।
भाष्य
१. सूत्र १६७
समुद्घात के लिए द्रष्टव्य भगवई २/७४ का भाष्य।
१६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव
विहरइ॥
तदेवं भदन्त! तदेवं भदन्त! इति यावत् विहरति।
१६६. भंते! वह ऐसा ही है। भंते! वह ऐसा ही
है। इस प्रकार यावत् विहरण करने लगे।
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