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दसमो उद्देसो : दसवां उद्देशक
मूल
संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद
अट्ठविह-आय-पदं
अष्टविध-आत्म-पदम् २००. कतिविहा णं भंते ! आया पण्णत्ता? कतिविघाः भदन्त! आत्मानः प्रज्ञप्ताः? गोयमा ! अट्टविहा आया पण्णत्ता, तं गौतम! अष्टविधाः आत्मानः प्रज्ञप्ताः, जहा-दवियाया, कसायाया, जोगाया, तद्यथा-द्रव्यात्मा, कषायात्मा, उवओगाया, नाणाया, दंसणाया, योगात्मा, उपयोगात्मा, ज्ञानात्मा, चरित्ताया, वीरियाया॥
दर्शनात्मा, चरित्रात्मा, वीर्यात्मा।
अष्टविध आत्म-पद २००. भंते! आत्मा कितने प्रकार की प्रज्ञप्त है?
गौतम ! आत्मा आठ प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-द्रव्य आत्मा, कषाय आत्मा, योग आत्मा, उपयोग आत्मा, ज्ञान आत्मा, दर्शन आत्मा, चरित्र आत्मा और वीर्य आत्मा।
भाष्य १. सूत्र २००
४. उपयोग आत्मा-चैतन्य की क्रिया में प्रवृत्त जीव। वृत्तिकार जीवास्तिकाय के बीस नाम बतलाए गए हैं, उनमें दसवां नाम ने इसका वैकल्पिक अर्थ किया है-विवक्षित वस्तु के जानने में प्रवृत्त आया-आत्मा है।'
जीव। यह सब जीवों के होती है। प्रस्तुत सूत्र में आत्मा के आठ प्रकार बतलाए गए हैं, उनमें ५. ज्ञान आत्मा-सम्यक् दर्शन के साथ होने वाली ज्ञान की द्रव्य आत्मा मूल है और शेष सात उसके पर्याय हैं।
उपलब्धि ज्ञान आत्मा है। यह सम्यग् दृष्टि के होती है। १. द्रव्य आत्मा-द्रव्य त्रिकालवर्ती है। वह त्रिकालवर्ती चैतन्य ६. दर्शन आत्मा-मोहनीय कर्म के क्षयोपशम से होने वाली लक्षण वाला जीव द्रव्य आत्मा है। यह सब जीवों के होती है। दृष्टि दर्शन आत्मा है। यह सब जीवों के होती है।
२. कषाय आत्मा-क्रोध आदि कषायों से आविष्ट आत्मा। यह ७. चारित्र आत्मा-सावध प्रवृत्ति से विरत होना चारित्र अनुपशांत और अक्षीण कषाय वाले जीवों के होती है।
आतमा है। यह व्रत-संपन्न जीवों के होती है। ३. योग आत्मा-मन, वचन और शरीर का प्रवर्तक जीव का .. वीर्य आत्मा-उत्थान, बल आदि की शक्ति वीर्य आत्मा व्यापार। यह योगवान जीव के होती है।
है। यह सभी संसारी जीवों के होती है।'
२०१. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स २०१. यस्त भदन्त! द्रव्यात्मा तस्य
कसायाया ? जस्स कसायाया तस्स कषायात्मा? यस्य कषायात्मा तस्य दवियाया?
द्रव्यात्मा? गोयमा! जस्स दवियाया तस्स गौतम! यस्य द्रव्यात्मा तस्य कषायात्मा कसायाया सिय अस्थि सिय नथि, । स्यात् अस्ति स्यात् नास्ति, यस्य पुनः जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया कषायात्मा तस्य द्रव्यात्मा नियमम नियम अत्थि॥
अस्ति ।
२०१. भंते ! जिसके द्रव्य आत्मा है क्या उसके
कषाय आत्मा है? जिसके कषाय आत्मा है, क्या उसके द्रव्य आत्मा है ? । गौतम ! जिसके द्रव्य आत्मा है उसके कषाय आत्मा स्यात् है, स्यात् नहीं है । जिसके कषाय आत्मा है उसके द्रव्य आत्मा नियमतः है।
२०२. जस्स णं भंते! दवियाया तस्स यस्य भदन्त! द्रव्यात्मा तस्य
जोगाया ? जस्स जोगाया तस्स योगात्मा? यस्य योगात्मा तस्य दवियाया?
द्रव्यात्मा?
२०२. भंते ! जिसके द्रव्य आत्मा है क्या उसके
योग आत्मा है ? जिसके योग आत्मा है, क्या उसके द्रव्य आत्मा है ?
१. भ. २०/१७॥ २. भ. पृ. १२/२००-द्रव्यं-त्रिकालानुगाम्युपसर्जनीकृतकषायादिपर्यायं तद्रूप
आत्मा द्रव्यात्मा सर्वेषां जीयानाम्। ३. वही, १२/वीर्य-उत्थानादि तदात्मा सर्वसंसारिणामिति।
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