________________
भगवई
४६७
परिशिष्ट-२: शब्दार्थ एवं शब्द-विमर्शानुक्रम
फोडीकम्मे ८/२४१-२४२
दीणविमण वयण ९/१६८ दीव चपय ८/२५६-२५७ दुगुल्ल ११/११९-१३० दुख्य ९/१७४ देश ८/२८५-२९४ दोषनिर्घात विनय ८/३०१
बंध छेदनगति ८/२८५-२९४ बलका ८/२५६-२५७ बलहरण ८/२५६.२५७ बलियाण ९/१४१ बहुबीजक ८/२१६-२२१ बुज्झति ९/१७७ ब्रह्मचर्यवास ९/९-३२
धारण ८/२५६.२५७ धारणा ८/९७-१०३
भाडीकम्मे ८/२४१-२४२ भोगलब्धि ८/१३९-१४६
नंगलिया ९/२०८ नत्थ ९/१४१ निच्छाय ९/१६८ निर्ग्रन्थ प्रवचन ९/१७७ निल्लंछणकम्मे ८/२४१-२४२ नेयाउय ९/१७७
पइविसिट्ट ९/१४१ पगब्भुब्भवभाविणीओ ९/१७३ पग्गह ९/१४१ पडिपुण्ण ९/१७७ पमुयपक्कीलिय ११/११९-१३० पम्हसुउमाल ९/१९० परस्पर श्लेष ८/४७७-४८४ परिक्लेश ९/१७४ परिनिव्वायंति ९/१७७ पर्याय स्थविर ८/२९५-३०० पर्वणि ९/१८९ पसत्थ दोहला ११/११९-१३० पसय ८/९७-१०३ पार्श्वस्थ १०/४६-५१ पार्श्वस्थविहारी १०/४६-५१ पिच्छी ९/२०४ पुण्णरत्ता ९/१४९ पुष्यमाण ९/२०८ पेच्चेह ८/२८५-२९४ पोत्तिय ११/५९ प्रदेश ८/२८५-२९४ प्रयोग ८/१ प्रयोग गति ८/२८५-२९४ प्रालम्ब ९/१९०
मञ्जिष्ठा राग ८/२५१-२५५ मतिअज्ञान ८/९७-१०३ मनःपर्यवज्ञान ८/९७-१०३ मल्ल ८/२५६-२५७ महत्तरग ९/१४४ महाबल ९/१४९ माहात्म्य ९/१४९ मिच्छत्ताभिनिवेस ९/२३०-२३४ मिश्र ८/१ मुक्तावलि ९/१९० मुच्चंति ९/१७७ मुरवी ९/१९० मुहमंगलिया ९/२०८ मृदंग ११/९० मृदंग मस्तक ९/१५६
य यज्ञ ९/१८९ यथाछंद १०/४६-५१ यथाछंदविहारी १०/४६-५१
रका ९/१४९ रज्जु ८/३५५ रत्नावलि ९/१९० रयणमय घंटा ९/१४१ रसवाणिज्जे ८/२४१-२४२ रूप ९/१९५
लक्खवाणिज्जे ८/२४१-२४२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org