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________________ भगवई. ४५३ पारिभाषिक शब्दानुक्रम - अवमोदरिका ७/२४ - इन्द्रिय ५/१०८-१०९ - की अपेक्षा ५/२०२, २०३, २०५, २०६ - त्व ७/५८-६० - परमाणु ५ आमुख ५/१६०-१६४(भा.) -प्रमाण ६/१३२ - मन ५/१००-१०२(भा.) - मान ६/७०-११८ - राशि ६/१५१:७/५९ - लेश्या ३/१८३-१८५: ६ आमुख; ७/६७-७३ (भा.) - स्थान आयु ५/१८६ द्रव्य (पुद्गल) ३/१८३.१८५ द्रव्य (काय वर्गणा प्रयोग) ५/१११ द्रव्यों के समुदाय ५/२३५,२३६ द्रव्यादेश ५/२०१-२०७ द्रव्यार्थता ७/५६ द्रव्यार्थिक नय ५/२५४-२५७(भा.);७/६३-६५(भा.) द्रह ३/१४८ द्वात्रिंशिका ७/१५६ द्वादश भक्त ७/२३१ द्विचन्द्र-दर्शन ३/२२२-२३०(भा.) द्वितीयान्त ५/१६१-१६८(भा.) द्विधापताक ३/१७०,१६४-१७१ (भा.) द्वि (पूर्ण) पर्यस्तिका-आसन ३/२०५ द्वि (पूर्ण) पर्यंकासन ३/२०८ द्विप्रदेशिक (प्रदेशी) स्कन्ध ५/१५१,१६१,१६३,१६६-१६८,१७६,२०१-२०७ द्विभाग-प्राप्त ७/२४ द्विविधता ५/१६१-१६८(भा.) द्रीन्द्रिय (जीव) ५/१८७,२२०,२२५-२३३(भा.),२३७-२४७(भा.); ६/१२६; ७/१४२, १५०-१५४(भा.) - आवास ६/१२६ - तिर्यग्योनिक ५/६२ द्वीप ३/८६,८७, १००, ११२, ११४, १९६, २४९; ६/७१,७२,७५, ६२,१३५,१५६,१६०,१७३ - समुद्र ३/८६,११२,११४, ११५ द्वेष ७/२२,२३ - संज्ञा ७/११९ धर्माचरण काल ६/१३२ धर्माचार्य ७/२०३,२१६ धर्मास्तिकाय ७/२१३,२१६,२१८,२१६ धर्मोपदेश ७/२१३ - क ७/२०३,२१६ धातु ३/४५ धात्री ७/२५ - पिण्ड ७/२५ धान्यों की योनि और स्थिति ६/१२९-१३१ (भा.) धारणा ३/३९ धार्मिक ३/३०,३८ धूम ७/२२,२३,२५. - मुक्त ७/२३ - प्रभा ६/१३७-१५० - प्रभा पृथ्वी ५/६२,२१६ धूमिका (महिका) ३/२५२ ध्यान ३/४,३८-४०(भा.),१०५,१०९:५/५१-५४(भा.),८३-८८(भा.); ६/२०-२३(भा.),७/१४६-१४E(भा.) -कोष्ठ ५/८५, २०१ - पद्धति ३/१०५ ध्यानात्मक वीर्य ७/१४६-१४६ ध्यानान्तरिका ५/८५,८६,८३-८८ (भा.) धूलि-विकिरण ३/११२ ध्रुव सिद्धान्त ५/१५०-१५३ ध्वंस ६/२२ नंदीश्वर द्वीप ३/८६-८७ नक्षत्र ३/८६-८७ नख ५/५३ नगर ३/११२,१३३,१८८,१८९,२२२,२२४,२२५,२२७,२२८.२३०, २३१,२३३,२३४,२३६,२३७,२३९,२७२,२७९,२८०:५/२३५,२३६; ६/१८,१७१ ___- की तत्त्व-परक व्याख्या ५/२३५,२३६ (भा.) नगरी ३/२२२,२२४,२२५,२२७,२२८,२३०,२३१,२३३,२३४, २३६, २३७,२३९ नगाड़ा ५/६४ नपुंसक ६/३५,३६ - वेदक ६/५२,६३ - वेदी ६/५४-६३ (भा.) नमोऽस्तु ३/३५,३६ नय ३/१४०-१४२(भा.): ५/१०८,१०६,१८१,२०१-२०७(भा.); ६/६३, ७/२७,२८,६३-६५(भा.) • दृष्टि ७ आमुख धन ३/३३ धन (राशि) ७/६२ धनुष ६/७५,१३४,१७३ धनु:पृष्ठ ५/१३४,१३५ धन्य ३/३६ धर्म ३/१३४-१३९: ५/७८-८२,६३,२५६,६/१३२,७/२२०,२२२ - शासन ३ आमुख Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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