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________________ पारिभाषिक शब्दानुक्रम ४४२ भगवई कर्माशय ५/५७,५८ कल्पना ३/१७ कर्मोदय रूप ७/१६१ कल (धान्य) १३१,१२९-१३१ (भा.) कलकलरव ३/११२ कल्पनीय ३/१०२ कल्पवासी ३/९० कल्याण ३/३६ - कर्म ७/२२५,२२६ - कारी ३/३३,३८,५१ - दायी ३/३३ - फल विपाक संयुक्त ७/२२५,२२६ कल्याणानुबन्ध निर्जरा ६/१-४(भा.) कवल ७/२४,२६-३५(भा.) कषाय ३/१४३-१४८(भा.),१९०: ५/६८-७१ (भा.); ६/२०-२३,६३; ७/४,५, २०,२१,२६-३५ - आश्रव ७/१०७-११२(भा.) - जनित (साम्परायिकी क्रिया) ३/१४३-१४८ (भा.) - वान् ३/१९० - समुद्घात ३/४ कषाय (रस) ६/१६३-१६७(भा.) कसौटी ५/५२ कांस्य ताल ५/६४ कांतार-भक्त ५/१४०,१३६-१४६ (भा.) कानन ५/१८९,१८२-१९० (भा.) कापोत (लेश्या) ४/८६/६३,१६८,१६६७/६७-७३(भा.),६६,७० - लेश्या ६/६३, ७/६९,७० - लेश्यी ६/६३ काम ६/८२,६६,१४२,१४७,१५०; ७/१२७-१३१(भा.),१५०-१५४(भा.) -भोग ७/१३७ -भोगी ७/१४५ कामना ७/१२७-१४५ कामी ५/६४,७/१३८-१४१,१४३ कायिक प्रयोग ६/२४-२६ (भा.) कायिक प्रवृत्ति ५/११०,१११ कायोत्सर्ग ३/३५,३६ कारक तत्त्व ६/१५,१६ कारण ५/१०४-१०६(भा.),१५०-१५३(भा.),१६१-१६८(भा.); ७/२२,२३ कारित ७/२७,२८ कार्बन आर्क बत्ति ६ आमुख कार्मण ५/५० - वर्गणा ५ आमुख; ६/३३,३४ - शरीर ६/२०-२३(भा.) कार्य ५/१५०-१५३(भा.) - कारण ५/१६१-१९८(भा.) -कारण-भाव ३/१४०-१४२(भा.) काल ३/१७,२१,४३,१४९,१५०; ५ आमुख, १,३,१६,२६,६४,६७, १६०-१६४(भा.),१६६-१७४(भा.),२२७-२३३(भा.); ६/३०-३२(भा.), ३३,३४,१३२,१३५,७ आमुख, ११७-११६,२०६,२०७,२०६,२१२-२१७ (भा.) - कर ७/१२१,१२२ - का प्रभाव ७/११७ (भा.) - का विभाग ५/२४८-२५३(भा.) - की अपेक्षा ५/२०२,२०३,२०५,२०६६/५४,५५, ५७,५८,६०,५४-६३(भा.) - की दृष्टि ६/५४-६३(भा.) - कृत ५/१७५-१८०(भा.) - के दो प्रकार नैश्चयिक और व्यावहारिक ५/२४८-२५३(भा.) -क्रम ६/२१,२३ - खण्ड ३/१४०-१४२; ६/१३३,१३४ - गणना ५/२४८-२५३(भा.);६/१३२ - चक्र ५ आमुखः ६ आमुख १३३,१३४,१३३-१३४(भा.); ७/११७-१२३ - धर्म ५/१३९, १४१, १४३, १४५ - परमाणु ५/१६०-१६४(भा.) - प्रमाण ५/२४८-२५३(भा.);६/१३२ • मर्यादा ५/१६६-१७४(भा.),२४८-२५३(भा.); ६/३३-३४ (भा.) - मान ५/१६६-१७४(भा.);६/१३२,१३४:७/२९-३५,६७७३(भा.) - मास ३/१७,२१,४३,१०६:७/१२१,१२२,२०६,२०७,२०९ - लब्धि ६/३०-३२(भा.) काल (मृत्यु) ३/१९२ कालातिक्रान्त ७/२४ कालादेश ५/२०१-२०७(भा.); ६/५४-६३(भा.) कालावधि ३/१४३-१४८(भा.),१४९,१५०:५/१६६-१७२,२३१; ६/१८,१५१ काय • करण ६/५,६,७,९ - प्रयोग ६/२६ - योग ५/१३४,१३५,६/५-१४ (भा.) - योगी ६/४७,६३ - वर्गणा ६/५-१४ (भा.) -स्थिति ५/४६,४६-५० (भा.),२४८-२५३ (भा.) काया ३/१३५:५/८३-८८,११०,१११ ___ • का योग ५/११०,१११,१३४,१३५ कायिकी ३/१३४,१३५: ५/१३४,७/२८ - क्रिया ५/१३४-१३९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003594
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages596
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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