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मूल
२६०. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नगरी, जहा पढमिल्लो उद्देसओ तहा नेयव्वो एसो वि, नवरं चंदिमा भाणियव्वा ।।
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दसमो उद्देसो : दसवां उद्देशक
संस्कृत छाया
तस्मिन् काले तस्मिन् समये चम्पा नाम नगरी, यथा प्रथम उद्देशक तथा नेतव्यः एषोऽपि नवरं - चन्द्रमाः भणितव्यः ।
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हिन्दी अनुवाद
२६०. उस काल और उस समय चम्पा नाम की नगरी थी। प्रथम उद्देशक में जो सूर्य की वक्तव्यता है, वह यहां ज्ञातव्य है। उसमें और इसमें इतना विशेषसूर्य के स्थान पर चन्द्रमा वक्तव्य है।
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