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________________ पारिभाषिक शब्दानुक्रम ३२२ भगवई पृथक्करण १८३ पृथ्वी १०५,१३१,१३६,१७२,१७५,१६६,२०१,२५५ कायिक (जीव) ३५,५६,५८,६०-६२,८७,८८,१०६,११८,११६, १८५,१६७,१६६,२०१ पैशुन्य १२८,१२६,१७० पौषधोपवास २६४,२६७ प्रकृति २६,३६,६३,२०८,२६१ -उदीरणा ८६ -बंध ४०,४१,६३ प्रक्षेप आहार २८,१५२ प्रगृहीत २४३ प्रज्ञापनीय ७६ प्रणय १ प्रणिधान १६५ प्रतिक्रमण ४२,४३,१८३,२४६,२५०,२५१ प्रतिपृच्छा २७० प्रतिमा २३८ प्रतिरूप २६० प्रतिलेखन ८१,२४८,२७५ प्रतिषेध ७५ प्रतिसंलीनता १६ प्रत्त २४३ प्रत्यक्ष ६३,२०८ ज्ञान १४,६२,६३ प्रत्यभिज्ञा ८८ प्रत्यय २ प्रत्याख्यान ४२,४४,५६,१६०,१६१,१९०,१२,१८३,२४८,२६४, २६७,२७८ प्रतिदिनभोजी २२१ प्रत्युत्थान २१४ प्रत्येक शरीरी २५५ प्रदक्षिणा २० प्रदेश २६,५६,७३,११२,१३२,१७४,२१०,२६०,२६३,२६४ -उदय ८६ -उदीरणा ८६ -कर्म ६७ -बन्ध ४०,६३ -स्कन्ध २६० प्रदेशात्मक २६३ प्रदेशावगाही १२७ प्रपञ्च-निरोध २०६ प्रमत्त ३५,३६,६१ और अप्रमत्त ६० संयत ३२-३४,५५,५६,६०,६८ प्रमाणान्तर ८८,६३ प्रमाणोपेत २२१ प्रमाता ७८ प्रमाद ३४,८०,८१ -योग ८० प्रमार्जन २७५ प्रमेय ७५ प्रमोक्ष २११ प्रयोग से ७७,७८ प्रवंचना ६२ प्रवचनकार ६१ प्रवचनमाता १०१,१०३,१०४ प्रवचनान्तर २८,६१ प्रवचनी-अन्तर ८५,६१ प्रवर २७२ प्रवृत्ति ३४,५६ प्रव्रज्या १५ प्रव्राजना अन्तेवासी १४,१५ प्रशस्त ३५,१७१ प्रशान्त ३६,४१,१०१-१०३,१७७,१८२,२५१ प्रशासक १८३,२१३ प्रशास्ता २१५ -स्थविर १८३ प्रश्न २१७ प्रस्थापित १५७,१५८,१६६,१६७ प्रहाण २३ प्राकृत भाषा १२६ प्राण २४,१८६,१६०,२०४,२०५,२३४ -शक्ति २४ प्राणत १०६ प्राणवियोजनात्मक १६५ प्राणातिपात ३३,१२७-१२६,१६५, १७०-१७२,२४८, २४६, २७२ -क्रिया १२८,१६२-१६६ प्राणी १३७,२५५ प्रात्यधिक ६३ प्रादोषिकी (क्रिया) १६२-१६५ प्रायश्चित्त २७१ प्रायोगिक ७८ -मरण २२८ प्रायोपगमन अनशन २२७-२२६,२४५,२४७ प्रासादीय २६० प्रासुक १८६ -भोजी २०६ प्रेय १२८,१७० बक्षस निग्रन्थ ४० बद्ध ४१,१५८,१६६,१६७ बन्ध ३०,३१,३६,४८,८०,८१,२२६,२६४,२६५,२७३,२७४,२६१ बन्धन ४१ -बद्ध १८५,१८६ बल ८०-८५,८६,२४५,२६३ बलाहक २७६ बलिकर्म २७०,२७१ बहुउदक ६६ बहुप्रदेश-परिमाण ३६ बहुश्रुत २६८ बहुसम २८३ बादर २८,१२४ बाल १६१ -तप ४३ -तपःकर्म २७४ -पण्डित ५६,१६०,१६१ -पण्डित-वीर्य ६४-६६ -पण्डितमरण २२७,२२६ -पर्याय १८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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