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________________ पारिभाषिक शब्दानुक्रम ३२० भगवई द्वीपकुमार १०६ द्वीपसमुद्र २८३ द्वेष ८१,१२८,१६५ द्वैक्रियवाद १७६ द्वैतवाद १३४ द्वैतवादी दर्शन १३४,२६१ द्व्यणुक १६१ धन्य २२१,२४३ धर्म ८१,१५६,२६७,२७३,२६१ -कथा २३१ -जागरिका २४६ -ध्यान २४६ धन्तिवासी १५ धर्मास्तिकाय ५६,१३४,१७३,१७५,१६७,२८५,२८८,२८६,२६०,२६२,२६३, २६५,२६६,२६६ धारक २०६ धारणा ८८,६० धूमप्रभा १०५,२५५ ध्यानकोष्ठ १६,१३० ध्यानमुद्रा १६ ध्रौव्य २१,२२,१००,१०१,१८७ नगर ४२,४५ -स्थविर १८३ नपुंसकवेद २५६ नमस्कार मंत्र ८६ नय २३,६२,१७४,१८३ -दृष्टि २१ नयान्तर ८८,६२ नरक ३५,४३,६१,६६,७०,१५६,१६०,१७१,१६३ नागकुमार २१४,२६४,२६५ नाडी-तंत्र ३८ नानाघोष २३ नानार्थक २३ नानाव्यञ्जन २३ नामकर्म ६३,८१,८२,६४,२२४,२६२ नाराच (संहनन) ११३ नास्तिक २०८ नास्तित्व ७७,७८,७६ निःशंकित २६६ निःश्रेयस २१४,२३२,२७० निःस्पन्द ४१ निकाचना २६,२७,३०,३१,४१,८६ निकाय २०२ निक्षेप १० निगंठ २७ निगम ४२ निग्रह २६६ निघण्टु २०७ नित्यानित्यवाद १८७ निदान २२६ निद्रा ८१ निधत्त २७,२६,३०,३१,४१,८६,१५७,१५८,१६६,१६७ निबद्ध मंगल ६,८ निमित्त १२ नियत २२४ नियत विपाक ६६ नियति १ -वाद ८१,६६ नियम ११५ नियमान्तर ८८,६३ निरायुष्क १५१ निरुक्त २०७,२०६ निरुपक्रम २०३ निरोध १८३,२७३,२७४ निर्ग्रन्थ ६८,१८५,१८६,२०४,२०५,२०६-२१२,२५८,२५६ -प्रवचन २३१,२३५,२६४ निर्जरा १६,२३,२६,२६-३१,४२,४४,५७,७५,८५-८७,६८,२६४,२६५, २७२-२७४,२६१ निर्जीण २५,२६,७२ निर्देश १२६ नियूंढ १८१ निर्विचिकित्स २६६ निर्विश्यमान १ निर्विष्ट ६१ निवृत्तित १६४ निर्वृत्त्यमान १६४ नियरि २२७,२३० निर्झरिम २३० निलय १३३ निश्चय नय २३,१८२ निषद्या १६,२३८ निषेक-रचना ७४ निष्कांक्षित २६६ निसृज्यमान १६४ निसृष्ट १६४ निहत्त ४१ निलव ६८,६६ नील लेश्या ३४-३६,६०-६२,११६-११८,१२० नैगम ७०,६२,२६६ नैयायिक २६५ नैरयिक २६,३४,४६-५१,५७,५८,६०,६४,६५,७०,७२,८७,६७,६८, १०६,१०६,११२-११४,११६,११६,१२०,१३१,१४२,१५५,१६८, १७२,२२६,२२७,२५५ -असंज्ञी-आयु ७१ -आयु ७० यावत् वैमानिक १७५ -संसार-अवस्थान-काल ६४ नैश्चयिक काल १६७ नोकर्म ८७ नोकर्म-पुद्गल १४७ नोकषायवशात २२६ नो परीत-नो अपरीत १७१ न्यग्रोध परिमंडल (संस्थान) १५ न्याय दर्शन १५१ पंकप्रभा १०५,२५५ पंचयाम ६१ पच्चीस तत्त्व २०८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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