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________________ पारिभाषिक शब्दानुक्रम ३१८ भगवई चैतन्याद्वैतवाद १३४ चैत्य १२,२०७,२१४,२३७,२६३,२७६ चौबीस दण्डक ६० चौराहा २१२,२६६ चौहटा २१२,२६६ च्यवन २५१ छद्मस्थ १०२,१०३,१०४ छन्द २०७,२०६ छह द्रव्य २६१ छानस्थिक समुद्घात २१२ छेदन २३ छेदोपस्थापनीय चारित्र १५,६१,२४८,२४६ जटाधारी ६८ जडचैतन्याद्वैतवाद १३४ जडाद्वैतवाद १३४ जन-उकलिका २१२,२१४ -ऊर्मि २१२,२१४ -कलकल २१२,२१३ -पद २१० -बोल २१२,२१३ -व्यूह २१२,२१३ -सत्रिपात २१२,२१४ -समूह २१२ -सम्म २१३ जन्म ६० काल ६० -मरण ६२ जन्मान्तर-सादृश्यवाद ६५ जम्बूद्वीप १२३,२८३ जलप्रवेश मरण २२६,२२८ जाति २८,२०१ -सम्पन्न २६८ -स्थविर १८३ -स्मरणज्ञान ६६ जिण १३ जिणे १४ जिन १३,१४,४१,७५,७६,१०२,२२०,२४५ कल्पस्थिति ६१ -कल्पी मुनि २१७ जीन १५ जीव २४-२६,३०-३५,४०,४१,४४,४८,५१,५२,५६६४-६६,७५, ६२,१५,११३,१३०,१३४,१३६-१४०,१४४-१४६,१६७-१७२, १८६,१६०,१६७,१६६-२०५,२०८,२०६,२११,२१२,२२३, २२४,२३४,२५२,२५५,२५६,२५८,२६१,२६३,२७३, २६०-२६४,२६५ -अजीव २६४ -अणु २८० -अवस्था २०६ -अस्तिकाय १३४,१७३,१७५,२८५,२८६,२८७,२८६,२६०, २६१,२६२,२६३,२६५ -व २०१ -द्रव्य २००,२६१ -प्रदेश २६,३०,३१ -भाव २६३ -मुक्त १३७ जेनेटिक साइंस १४ जैन दर्शन ४८,७७,८६,१६१,१६७,२१०,२६२ दर्शन में सृष्टि १३३ महाराष्ट्री मुनि ६६,६८,२३५ मुनिवेषधारी ६७,६६ विज्ञान २५५ साधना-पद्धति २१७ जैव-रसायन १५ ज्ञात २१४ ज्ञान ३६,३७,३८,६२,६६,१०६,११५,११८,१२०,१३१,१७४,१७५, १८१,१८३,२७८ -कोश ३८ -दर्शन २ पारभविक ३८ -पर्यव २२५ -मोह ८६ ज्ञानान्तर ८८,६० ज्ञानावरणीय कर्म ३८,७४८६,६४ ज्ञानी ६८,२१६ ज्ञानेन्द्रिय १३६ ज्ञेय ७६ ज्योतिष शास्त्र २६७ ज्योतिष्क देव ३५,५६,५८,६७,१०६,१२१,१६८,२८१,२८६ ज्यौतिषायण २०६ ज्वलनप्रवेश (मरण) २२६,२२८ तत्तीव्राध्यवसान १५७ तच्चित्त १५७ तत्त्व १३३ -ज्ञान २०८,२६४ -विद्या १६७ तथारूप १५७ तदध्यवसित १५७ तदर्थोपयुक्त १५७ तदर्पितकरण १५७ तदुभयभविक ३८ तद्भवमरण २२६,२२८,२२६ तद्भावनाभावित १५७ तनुवात १३१,१३२,१३३,१३५,१३६,१७२,१७५,२६६ तन्मना १५७ तप१४,१६,१७,१६,३७,३८,६१,६६,१२१,१३०,१६६,१७६,१६७, १६३,२०७,२१२,२६३,२७२,२७३,२७७,२७८ तपःकर्म २३६,२४०,२४३,२४४,२६४,२७४ तपस्वी २१६ तप्ततपस्वी १६,१७ तमःप्रभा १०५,२५५ तमस्तमा १०५,२५५ तमिल ७ तरुपतन (मरण) २२६,२२८ तलवर २१५ तल्लेश्य १५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003593
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01 Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages458
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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