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________________ सूयगडो। परिशिष्ट १ : टिप्पण-अनुक्रम शब्द अनुक्रम टिप्पण पृष्ठ शव अनुकम टिप्पण पृष्ठ शब्द अनुक्रम टिप्पण पृष्ठ सं० सं. सं० सं० सं० सं० अणुधम्मचारिणो (२०४७) १०६ ६१ अस्थि पुण्णं. 'णत्थिपुण्णं अमुच्छितो. (१०।२३) ४५१ ७७ अणुधम्मो (२०११) १०० २२ (११।१६-२१) ४७६ २८ अमूढा (१४।१०) अणुपाणा (२०११) ६६ १६ अथ (१६।१) ६२१ १ अयं (५१३५) २६४ अणुपुवकडं (१५१२३) ६१३ ५३ अदु णाइणं...(४।१४) २०४ ४३ अयाणंता (११६) २४ २२ अणुपुव्वेण (१११५) ४७० ___ अदु'दासा वा (४|४६) २२२ १२२ अयोहारि ब्व (३॥६७) १७१ अणुप्पियं भासति (७।२६) ३४६ ८७ अदु भोयणेहि (४।१५) २०४ ४५ अरति रति (१३।१८) ५४५ ७१ अणुभावे (६७) २६६ ३८ अद्देव से (१३॥५) ५३२ १५ अरति रतिं च (१०।१४) ४४४ ५१ अणु माणं (८।१८) ३७४ ३६ अधोऽवि (१९७३) ६७ १३४ अरति-रति (१६।३) ६२२ अणुवीइ (१०११) ४३३ २ अपडिण्णं (६।१६) ३०५ ७० अरहस्सरा (५७) २४६ १५ अणुवीइ वियागरे (९।२५) ४१२ ८३ अपडिण्णस्स (२।४२) १०८ ५५ अरहस्सरा (२३८) २६६ ६५ अणुवीचि (१४१२६) ५६१ १०२ अपडिण्णे (१०११) ४३४ ४ अररियाभिता अरहियाभितावे (५२१७) २५४ ४३ अणुसासणं (२।११) ६६ २० अपडिण्णेण (३१५३) १६२ ७६ अलंकारं (४१३८) २१६ ८५ अणुसासणं (२०६८) १२२ ६३ अपरं परं (६।२८) ३१३ ६७ अलूसए (१४।२६) ५६० ६८ अणुसासणं (१५॥११) ६०७ २६ अपरिच्छ दिट्ठि (१९) ३४५ ६८ अविकपमाणे (१४।१४) ५७६ अणुसासति (१५१०) ६०६ ।। अपुटुधम्मे (३३३) १४६ ५ अविजाणओ (५।१२) २५२ अणुस्सुयं (२०४७) १०६ ___ अपुटुधम्मे (१४॥३) ७ अवि धूयराहिं (४।१३) २०३ अणेलिसस्स (१५।१३) ६०६ ३२ अपुटुधम्मे (१४।१३) ५७५ ४४ अवियत्ता (११३८) ४२ अणोवसंखा (१२१४) १० अप्पं भासेज्ज (८।२६) ३७८ ४६ अवि हत्थ 'अदु.. अणोसिते ..(१४।४) ५६७ १३ अप्पपिंडासि (८।२६) ३७८ ४५ (४।२१-२२) अण्णं (११४८) ५० ६५ ___ अप्पणो य वियक्काहिं असंकियाई 'असंकिणो अण्णं जणं पस्सति (१३।८) ५३६ ३२ (१।४८) (११३७) अण्णं वा अणुजाणइ (११२) २१ ८ अप्पेण (५।२६) असंथुया (१२।२) अण्णत्थं (२६) ४१५९४ अबोहिए (२०५५) ११५ ७१ असमाहिए (३।२७) अण्णत्थ वास (१३) ३४२ ५७ अब्भक्खाण (१६॥३) असमाहिया (३।१०) अण्णमण्णेहिं मुच्छिए (११४) २२ १४ अब्भागमियम्मि (२०७१) १२३ ६६ असमाहिया (३।५२) अण्णयरम्मि संजमे (२।२६) १०३ ३४ । अब्भुट्टिताए घडदासिए असमाहिया (११।२६) अण्णवुत्त-तयाणुगं (११८०) ७२ १४६ (१४१७) ५७२ ३२ असमाही (२०४०) १०७ अण्णाणवायं (१२।१) ४६७१ अभए (६५) २९३ २७ असाहुधम्माणि (१४।२०) ५८१ ७४ अण्णाणिया (१।४३) ४८ अभिजुजिया रूद्द (५१४२) २६७ १०२ असुहत्तं तहा तहा (८।११) ३७२ अण्णायपिंडेण (७।२७) ३५० अभिणिबुडे (८।२६) ३७८ ४७ असूरियं (५।११) अतिक्कमंति (८।२१) अभिणूमकडेहि (२।७) ६७ असेसकम्मंस (६।१७) ३०३ अत्तगामी (१०।२२) ४५० ७३ अभिदुग्गंसि (५।३२) २६२ ७२ अस्सिं (१५।४) अत्तत्ताए (३।४६) अभिदुग्गा (५८) २५० अस्सि च लोए. (७।४) अत्तदुक्कडकारिणो (८1८) ३७१ १६ अभिपातिणीहिं (५॥३३) २६२ ७५ अह (७५) ३३३ १६ अत्तपण्णेसी (६।३३) ४१६ ११२ अभिसंधए पावविवेग अह (७६) अत्तसमाहिए (३१५८) १६६ ८५ (१४१२४) ५८६६३ अहम्ममावज्जे (१।४७) ४६ अत्ताण जो जाणइ (१२।२०) ५१५ ५२ अभोच्चा (७.१३) ३४२ ५६ अहाबुइयाइं (१४।२५) ५८६ अत्ताण जो जाणइ अमणुण्णसमुप्पायं' (१।६६) ६६ १३१ अहावरं "पुत्तं पिता (१२।२०-२१) ५१६ ५७ अमाइस्वे (१३१६) ५३४ २२ (११५१-५५) ५२ १०६ ५०१ ५० ०४"ur१० २५१ ३७५ ६०३ orma Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003592
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Suyagado Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Dulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages700
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sutrakritang
File Size14 MB
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