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________________ [ २२ ] अचलनाता ___ संपूर्ण आयुष्य-काल--७२।४ अकंपित संपूर्ण आयुष्य-काल-७८।२ इन्द्रभूति संपूर्ण आयुष्य-काल-६२२ अगारवास-काल-८३।४ पूर्ण आयुष्य-काल-८४१२ गण और गणधर-८४१६ श्रमणों की संख्या-८४१७ परिनिर्वाण-काल-८६१ ऊंचाई-प्र०२५ ऋषभ और महावीर का अन्तर-काल---प्र० ८७ २. अजित गृहवास-काल-७१।३ गण और गणधर-६०२ अवधिज्ञानियों की संख्या-६४१२; प्र०८४ ऊंचाई-प्र०२१ सुधर्मा संपूर्ण आयुष्य-काल-१००१५ १०. ज्ञान अर्थावग्रह-६६ आभिनिबोधिक ज्ञान के प्रकार-२८।३ आभिनिबोधिक ज्ञान की उत्कृष्ट स्थिति-६६।४ अवधिज्ञान के प्रकार-प्र० १७२ ११.तिर्यञ्च ३. संभव गृहवास-काल-५२ ऊंचाई-प्र०१६ ४.अभिनंदन ऊंचाई-प्र० १५ ५. सुमति ऊंचाई-प्र०६ ६. पद्मप्रभ ऊंचाई-प्र०७ असंख्य वर्षों की आयु वाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चों की स्थिति-११३५; २।१२; ३३१७ बादर वनस्पति की स्थिति--१०।१७ जलचर पञ्चेन्द्रिय के योनि-प्रमुख--१३।५ गर्भावक्रान्तिक पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चों का प्रयोग-१३०७ सम्मच्छिम भुजपरिसर्प की उत्कृष्ट स्थिति-४२१५ सम्मच्छिम उरपरिसर्प को उत्कृष्ट स्थिति-५३४ सम्मूच्छिम खेचर पञ्चेन्द्रिय की उत्कृष्ट स्थिति-७२१८ योनि प्रमुखों का परिमाण-८४११४ तिर्यञ्चों के आवास-प्र० १४६,१४७ तिर्यञ्चों के आयुष्य के आकर्ष-प्र०१८५ पृथ्वीकायिक से गर्भावक्रान्तिक तिर्यञ्चों का संहननप्र० १६०,१६२ पृथ्वीकायिक से गर्भावक्रान्तिक तिर्यञ्चों का संस्थानप्र० १६६,२०५ पथ्वीकायिक से गर्भावक्रान्तिक तिर्यञ्चों का वेद-प्र० २१२, ७. सुपार्श्व वादियों की संख्या-८६०२ गण और गणधर-६५१ ऊंचाई-प्र०४ ८.चन्द्रप्रभ गण और गणधर-६३१ ऊंचाई-प्र० १ तिर्यञ्च गति के उपपात और उद्वर्तना का विरह-कालप्र० १८०,१८१ १२. त्रिषष्टिशलाकापुरुष (क) तीर्थङ्कर १. ऋषभ पूर्वभव---२३॥३,४ महाराज-काल--६३११ ६. सुविधि केवलियों की संख्या-७५१ गण और गणधर-८६१ ऊंचाई-१००१३ १०. शीतल गृहवास-काल-७श२ गण और गणधर-८३१२ ऊंचाई-६०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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