________________
[२०]
महतीविमानप्रविभक्ति के पांचवें वर्ग के उद्देशन-काल-४५८
प्रकीर्णकों की संख्या-८४।१३ लौकिकशास्त्र
पापश्रुत के प्रसंग-२६१
नामकर्म की उत्तरप्रकृतियां-५११५; ५२१४; ५५६६; ५८।२;
६६।३; ८७१५; ६११४ संहनन के प्रकार-प्र० १८६ संस्थान के प्रकार-प्र० १६६ गोत्रकर्म की उत्तरप्रकृतियां--३६।४; ६६।३; ८७५
अन्त रायकर्म की उत्तरप्रकृतियां-५२।४; ५८।२; ६६४३; ६१।४ प्रकीर्ण
कर्म-बंध के प्रकार-४१५ सूक्ष्मसंपराय मुनि के कर्म-प्रकृतियों का बंध-१७१० आठों कर्मों की उत्तरप्रकृतियां-६७३
३. कला ब्राह्मीलिपि के लेख-विधान-१८५ नाट्य के प्रकार–३२६ ब्राह्मी लिपि के मातृकाक्षर–४६।२ बहत्तर कलाएं-७२१७ पूर्व से शीर्षप्रहेलिका पर्यन्त गुणाकार-८४।२५
ज्ञानावरणकर्म की उत्तरप्रकृतियां-३६।४; ५२१४; ५८।२;
६६३; ६११४ दर्शनावरणकर्म की उत्तरप्रकृतियां-६।११, ५११५, ५५।६;
६६।३; ८७१५, ६११४ नपुंसक वेदनीयकर्म का स्थितिबंध-२०१५
वेदनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियां-५८१२; ६६३; ८७१५; ६१॥४ मोहनीयकर्म
क्षीणमोह भगवान् के प्रकृतियों का वेदन-७।६ निवृत्तिबादर गुणस्थानवी जीवों के मोहनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियों की सत्ता-२१२ अभवसिद्धिक जीवों के मोहनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियों की सत्ता२६१२ वैदक सम्यक्त्व-बंध का वियोजन करने वाले व्यक्ति के मोहनीयकर्म की उत्तर-प्रकृतियों की सत्ता-२७१५ कुछ भवसिद्धिक जीवों के मोहनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियों की सत्ता-२८२ मोहनीय के बंध-स्थान-३०१ मोहनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियां-३६४; ८७।५; ६११४ मोहनीयकर्म के अपर नाम-५२।१ मोहनीयकर्म का अबाधा-काल से न्यून निषेक-काल-७०।४ वेद के प्रकार - प्र० २०६ आयुष्य कर्म की उत्तरप्रकृतियां-३६।४; ५५६, ५८१२;
६९।३; ८७.५ आयुष्य-बंध के प्रकार-प्र० १७६ नामकर्म
अपर्याप्त मिथ्यादृष्टि विकलेन्द्रिय के नामकर्म की उत्तरप्रकृतियों का बंध-२५३६ देवगति का बंध करते हुए जीव के नामकर्म की उत्तरप्रकृतियों का बंध-२८०५ नरकगति का बंध करते हुए जीव के नामकर्म की उत्तरप्रकृतियों का बंध-२८६ सम्यकदृष्टि भविक जीव की बध्यमान नामकर्म की उत्तरप्रकृत्तियां-२९६ नामकर्म के प्रकार-४२६
४. काल छोटी रात, छोटा दिन-१२।८, ९ चैत्र और आश्विन मास के रात-दिन - १५५६, ७ पौष की उत्कृष्ट रात्री, आषाढ़ का उत्कृष्ट दिन-१८८ अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी का कालमान-२०१७ अवसर्पिणी के पांचवें तथा छठे आरे का कालमान --२१॥३ उत्सपिणी के पहले तथा दूसरे आरे का कालमान--२११४ एक प्रहर की चौबीस अंगुल प्रमाण छाया-२४१४ नक्षत्रमास का परिमाण-२७।३ सत्ताईस अंगुल प्रमाण छाया की निष्पत्ति-२७१६ आषाढ़, भाद्रपद, कार्तिक, पौष, फाल्गुन और वैशाख मास का परिमाण-२६।२-७ चन्द्रमास के दिन का परिमाण-२६८ अहोरात्र का मुहूर्त-परिमाण-३०१३ अभिवद्धितमास का परिमाण–३१४ आदित्यमास का परिमाण-३११५ चैत्र और आश्विन मास का प्रहर-परिमाण-३६।४ कार्तिक कृष्णा सप्तमी का प्रहर-परिमाण-३७५ फाल्गुन और कार्तिक पूर्णिमा का प्रहर-परिमाण-४०।६,७ अवसर्पिणी के पांचवें-छठे दोनों आरों का कालमान-४२१९ उत्सर्पिणी के पहले-दूसरे-दोनों आरों का कालमान-४२११० चन्द्रसम्वत्सर की ऋतु का परिमाण-५६१ पंचसांवत्सरिक युग के ऋतुमासों का परिमाण–६।११
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org