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________________ ६४६ ववहारो ६. 'सागारियस्स नायए" सिया सागारियस्स एगवगडाए अंतो' एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥ १०. सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए अंतो अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए ।।। ११. सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए बाहिं' एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥ १२. सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए बाहिं अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए । १३. सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमण पवेसाए अंतो एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥ १. सागारियनायए (म); सारियनायए (जी, पडिगा। शु)। नवमसूत्रात् षोडशसूत्रपर्यन्तं 'क, ता' सामारियनायगे सिया सागारियस्स अभिणि संकेतितादर्शयोरेवं पाठभेदोस्ति–सानारियणा- अभिणिदु अभिणिक्ख सागारियस्स एगपदा यो सिया सागारियस्स एगवगडाए एगदुवाराए सागारियं च नो उवजीवइ तम्हा दावए णो से एगनिक्खमणपवेसणयाए सिया सागारियस्त फप्पइ पडिग्या । एगपया सागारियं च उपजीवति तम्हा दाबए सागारियणायए सिया सागारियस्स अभिनि एवं से कप्पइ पडिग्गा । अभिनिदु अभिनिक्ख सागारियस्स अभिनिसागारियस्स नायगे सिया सागारियस्स एक- पदा सागारियं च नो उवजीवइ तम्हा दावए वगडाए एगा एगनिक्खमणाए सागारियस्स एवं से णो कप्पइप। एगपया सागारियं च नो उवजीवइ तम्हा दावए सागारियनायए सिया सागारियस्स अभिणिएवं से नो कप्पइ पडिग्गा ! वगडाए अभिणिदु अभिणिक्ख सागारियस्स सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स अभिनिपदा सामारियं च उवजीवइ तम्हा एगवगडाए एगदु एगनिक्खमण सागारियस्स दावए एवं से नो कप्पइ पडिग्गा । आभिणिपदा सागारियं च उवजीवइ तम्हा सागारियनायए सिया सागारियस्स अभिणिदु दावए एवं से नो कप्पइ पडिग्गाहेत्तए । अभिनिवख सागारियस्स अभिणिपदा सागारिसागारियस्स नातए सिया सागारियस्स यस्स नो उवजीवइ तम्हा दावए एवं से नो एगवगडाए एगदु एगणि सागारियस्स आभि- कप्पइप। णिपदा सागारियं च नो उवजीवइ तम्हा दावए २. अंतो सागारियस्स (ख) अग्रिमसूत्रेपि एवमेव । एवं से नो कप्पइ पडिग्गा । ३. दाहिं सागारियस्स (ख) अग्रिम सूत्रेपि सागारियस्स नातए सिया सागारियस्स अभिणिव्वगडाए अभिणिदुवाराए अभिणिक्खमण- ४. अंतो सागारियस्स (ख) अग्रिमसूत्रपि पवेसणयाए सागारियरस एगपया सागारियं च एवमेव । उवजीवइ तम्हा दावए एवं से नो कप्पइ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003587
Book TitleAgam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Vavaharo Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages68
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size2 MB
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