SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गणुमोगदाराई ३३३ भेदा भाणियव्वा"। २४. 'अविसेसिए अजीवदव्वे, विसेसिए धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थि काए पोग्गल स्थिकाए अद्धासमए य । २५. अविसे सिए पोग्गल त्थिकाए, विसेसिए परमाणु पोग्गले 'दुपएसिए तिपए सिए __ जाव अणंतपए सिए य" । से तं दुनामे ॥ तिनाम-पर्व २५५. से किं तं तिनामे ? तिनामे तिविहे पण्णत्ते, 'तं जहा---दव्वनामे गणनामे पज्जव नामे ॥ २५६. से कि तं दव्वनामे ? दव्वनामे छविहे पण्णत्ते, तं जहा-धम्मत्थिकाए 'अधम्म त्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गल त्थिकाए" अद्धासमए । से तं दन्वनामे ।। २५७. से कि तं गणनामे ? गणनामे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा–वण्णनामे गंधनामे रस नामे फासनामे संठाणनामे ॥ २५८. से कि तं वण्णनामे ? वण्णनामे पंचविहे पण्णते, तं जहा-कालवण्णनामे नील वण्णनामे लोहियवण्णनामे हालिद्दवण्णनामे सुक्किलवण्णनामे । से तं वण्णनामे ॥ २५६. से किं तं गंधनामे ? गंधनामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–सुभिगंधनामें य दुन्भि गंधनामे य । से तं गंधनामे ॥ २६०. से कि तं रसनामे ? रसनामे पंचविहे पण्णत्त, तं जहा-तित्तरसनामे 'कडुयरसनामे कसायरसनामे अंबिलरसनामे महुररसनामे' । से तं रसनामे ।। २६१. से कि तं फासनामे ? फासनामे अटुविहे पण्णत्ते, तं जहा-कक्खडफासनामे 'मउयफासनामे गरुयफासनामे लहुयफासनामे सीतफासनामे उसिणफासनामे निद्धफासनामे लुक्खफासनामे । से तं फासनामे ।। २६२. से किं तं संठाणनामे ? संठाणनामे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-परिमंडलसंठाण नामे 'वट्टसंठाणनामे तंससंठाणनामे चउरंससंठाणनामे आयतसंठाणनामे ! से तं संठाणनामे । से तं गणनामे ।। १. अविसेसिओ अणुत्तरोववाईओ, विसेसिओ ४. जाव (क)। विजयवेजयंतजयंतअपराजियसव्वसिद्धओ । ५. सुरभिगंधनामे (ख, ग) सर्वत्र । एएसि पि अविसे सियविसेसिय पज्जत्तयअप- ६. दुरभिगंधनामे (ख, ग) सर्वत्र । ज्जत्तयभेदा भाणियन्वा (क) ७. एवं कडुयकसायंबिलमहुररसनामे (क) । २. अविसेसियं अजीवदव्वं, विसेसियं धम्मत्थि- ... एवं मउयगरुयलहुयसीय उसिणनिद्धलुक्खफासकाए जाव अद्धासमए (क)। __ नामे (क)। ३. दुपएसिए जाव अणंतपएसिए (क)। ६. एवं वट्टतंसचउरंसआययसंठाणनामे (क)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003584
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages135
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy