________________
२०७
एगतीसइमं अज्झयणं (चरणविही)
१२. किरियासु भूयगामेसु परमाहम्मिएसु य ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ।। १३. गाहासोलहसएहि तहा अस्संजमम्मि य ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ।। १४. बंभम्मि नायज्झयणेसु ठाणेसु यसमाहिए।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छई मंडले ।। १५. एगवीसाए सबलेसु बावीसाए परीसहे ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ।। १६. तेवीसइ सूयगडे रूवाहिएसु सुरेसु अ ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥ १७. पणवीसभावणाहि उद्देसेसु दसाइणं ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ।। १८. अणगारगुणेहिं च पकप्पम्मि तहेव य ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥ १६. पावसुयपसंगेसु मोहट्ठाणेसु चेव य ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ।। २०. सिद्धाइगुणजोगेसु तेत्तीसासायणासु' य ।
जे भिक्खू जयई निच्चं से न अच्छइ मंडले ॥ २१. इइ एएसु ठाणेसु जे भिक्खू जयई सया । खिप्पं से सव्वसंसारा विप्पमुच्चइ पंडिओ।।
-ति बेमि ॥
१.य+असमाहिए=यसमाहिए। २. देवेसु (बृपा)। ३. पुणु (अ)।
४. उ (उ, ऋ, ब)। ५. णाणि (अ)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org