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मैंने अपने संघ के ऐसे शिष्य साधु-साध्वियों के बलबूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया था।
प्रस्तुत आगमों के पाठ-संशोधन में अनेक मुनियों का योग रहा । उन सबको मैं आशीर्वाद देता हं कि उनकी कार्यजा शक्ति और अधिक विकसित हो। यह बृहत् कार्य सम्यग् रूप से सम्पन्न हो सका, इसका मुझे परम हर्ष है।
-आचार्य तुलसी अणुव्रत भवन (नई दिल्ली)
२२ अक्टूबर, १९८७
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