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________________ ८६८ खाइय ( खादित) उ ११५१,५४,७६,७२ खाण ( स्थाणु) ज २१३६६४१२७७ खाबहुल (स्थावल ) १११८ खात (खात) प २१३० खाय ( खात) प २१३१,४१ ज ३।३२ खार (क्षार) १७६ खारतउसी (क्षारत्रगुणी ) प १७३१३० खारतजसीफल ( क्षात्रपुपीकल ) प १७।१३० खारमेघ (क्षारमेघ) ज २२४२, १३१ खारोदय ( श्रारोदक) ११२३ खासीय (खाशिक ) प ११८६ खिखिणी ( किंकणी ) ज ३१३५ खिल (खि) खिसति उ ३।११७ विज्जिया (विस्यमान) उ २।११८,१२३ खियामेव ( चिप्रमेव ) २८१०५ ३४११६,२१, २४ ज २१६५,६७, १०१, १०५, १४०७, १०६, १११११४,११५,१४१ से १४५; ३७,१२, १५,१८.१६,२१,२५,२८,३१,३२,३८,३८, ३०४६,४६,५२,५३,५८,६१,६२,६६,६६, ७०, ७४, ७७,८०.८३,९१.६६.०६.१००. ११५.११८.१२१.१२४,१२८.१३२.१४१, १४२१४७,१६० से १६४.१६८, १७३, १७५, १८०, १८१.१८३,१६१.१६६.२०७.९२२ २१३, ५१३,७,१४,१५२२,२८,५४,६८ रो ७०,७२.७३ खीन (क्षीण ) २६ ३१२२५ atraara (क्षीणपाय ) प १।१०२,१०८ से ११०,११५.११७ से १२३ खोर (खीर) प १४२३१ लीकी खीर (धीर) प १५ । ५५।१६ १७ ११६,१२८ सू १०।१२० उ ३।११८,१३० खोरकाओ (क्षीरकाकोली ) ११४८ खीरपुर (सीपुर ) प १७३१२८ खीरमेह (श्री मेघ) १४२,१४३ खोवर (ब) सू १६३१ खरिणी (ओरिणी ) प १३२ Jain Education International खीरोद ( श्रीराद) ज ६,६८ खीरोग (क्षीरोदक) ज २०१७ से १००,१११, खाइय-खेत्त ११२:५१५५ खीरोदय (श्रीगोदक ) ग ११२३ ज ५१५५. खोरोदा (क्षीरोदा ) ज ४।२१२ खीरोया (क्षीरोदश ) ज ४।२१२ खोलग ( कीलक ) ज ७।१३३१३ खील संठिया ( कीलक्स स्थित ) सू १०/४८ खोलच्छाया (कीलछायः) सूबाट खोलिया (कीलिका) प २३१४५.६८ खु ( खलु ) ३।२४ ३१ १७४१६०,८३,११३ खुज्ज ( कुटज) प १५/३५२३।४६ ज ३।११।१,८७ खुज्जा ( कुब्जा ) १०१६ खुड्ड (क्षुद्र) खुड्डग (क्षुद्रक) ज ४।१३६ खुड्डार (शुद्रतर) ज ४१५४ खुड्डाग (क्षुद्रक ) प १९५ खुड्डा (शुद्रक) सू २०१४ खुड्डिया (क्षुद्रिका) ज ४१६०,८३,११३ खुभिय (क्षुभित ) २६५ खुर (र) ३३०, १७८ ज खुरप ( प्र ) प शर० से २७१५५ ज ३।३० खुल्ला (क्षुल्लक) पाट खुहा (क्षुत्रा) (२२१११ १२ खेड (खेट) प ११३४ ज २२२१३१३११८,३१, ८१,१०,१८५,२०६,९२१ ३ १०१ खेडग (खटक) २०३५ खेड (खेटक ) ज ३१३१ खेड्डकारग ( खलकारक ) ज ३१७८ खेत (क्षेत्र) २२६४३११२६१२३२८१४१५ १४११८११; १५५२,१७/१०६ से १९१; २८।२०,३२,६६,३३१२,३,१०,१२,१३,१५ से १८, ३६।५६,६०,६६ से ६८,७० से ७४ जरा६६३३७१२० से २५, २६, ५२,५४, ७६ से २,६५,६६ सू १|१४; २३३|१: For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003574
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages505
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size9 MB
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