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________________ परिसिळं चन्द्रप्राप्ति व सूर्यप्रज्ञप्ति का पाठभेद सूर्यप्राप्ति चन्द्रप्राप्ति सूत्र १० सूत्र ६-६ १११ से ६ पाहुडपाहुडों में कहीं-कहीं शब्दभेद है। ११७ पाहुडपाहुड में पाठभेद है । वह इस प्रकार हैचन्द्रप्र० सूर्यप्र० ता समचउरंससंठाणसंठिता गं' मंडलसंठिती ता सव्वावि मंडलवाता समचउरंससंठाणसंठिता आहितेति वएज्जा एगे एवमासु १ एगे पुण पण्णता एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहसुता एवमाहंस....ता विसमसंठाणसंठिता णं मंडल- सव्वादि मंडलवता विसमचउरंससंठाणसंठिता संठिती आहितेति वएज्जा एगे एवमाहंसु २ एगे पगणत्ता एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु.-ता पुण एवमाहंसु--ता समचउक्कोणसंठिता णं सव्वावि मंडलवता समचउक्कोणसंठिता पण्णत्ता मंडलसंठिती आहितेति वएज्जा एगे एवमासु ३ एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु-ता सब्दावि एगे पुण एवमाहंसु.- ता विसमचउक्कोणसंठिता मंडलवता विसमचउक्कोणसंठिता पण्णत्ता एगे णं मंडलसंठिती आहितेति वएज्जा एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमासु.-ता मंडलवता समचक्कवालसंठिता पण्णत्ता एगे एवमासमचक्कवालसंठिता णं मंडलसंठिती आहितेति हंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु-ता सव्वावि मंडलवता वएज्जा एगे एवमाह सु ५ एगे पुण एवमाहंसु विसमचक्कवालसंठिता पण्णता एगे एवमाहंसु ६ -. ता विसमचक्कवालसंठिता णं मंडलसंठिती एगे पुण एवमाहंसु--- ता सब्वावि मंडलवता आहितेति वएज्जा एगे एवमासु ६ एगे पुण चक्कद्धचक्कवाल संठिता पण्णत्ता एगे एवाहंस ७ एवमाहंसू -- ता चक्कद्धचक्कवालसंठिता गं मंडल- एगे पुण एबमाहंसु.--ता सव्वावि मंडलवता संठिती आहितेति वएज्जा एगे एवमासु ७ एगे छत्तागारसंठिता पण्णत्ता एगे एवमाहंसु---८ तत्थ पुण एवमाहंसु--ता छत्तागारसंठिता णं मंडल- जेते एवमाहंसु-ता सव्वावि मंडलवता छत्तागारसंठिती आहितेति वएज्जा एगे एवमाहंसु 'तत्थ संठिता पण्णत्ता, एतेणं नएणं नायव्वं, नो चेव णं १. 'ण' इति वाक्यालंकारे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003574
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Surpannatti Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages505
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size9 MB
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