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जंबुद्दीपण
८७. लवणे णं भंते! समुद्दे केवइयं ओगाहेता केवइयं णक्खत्तमंडला पण्णत्ता ? गोमा ! लवणे णं समुद्दे तिणि तीसे जोयणसए ओगाहित्ता, एत्थ णं छ णक्खत्तमंडला पण्णत्ता । एवामेव सपुब्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे लवणसमुद्दे अट्ठ णक्खत्तमंडला भवतीतिमवखायं ॥
८८. सव्वभंतराओ णं भंते ! णक्खत्तमंडलाओ केवइयं' अबाहाए सब्वबाहिरए क्खत्तमंडले पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचदसुत्तरे जोयणसए अबाहाए सव्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पण्णत्ते ||
८९. णक्खत्तमंडलस्स णं भंते ! णक्खत्तमंडलस्स य एस णं केवइयं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा ! दो जोयणाई णक्खत्तमंडलस्स' गक्खत्तमंडलस्स य अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥
६०. णक्खत्तमंडले णं भंते! केवइयं आयाम - विक्खभेणं, केवइयं परिक्खेवेणं, केवइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! गाउयं आयाम विक्खभेण तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, अद्धगाउयं बाहल्लेणं पण्णत्ते ॥
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१. जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे मंदरस्त पव्वयस्स केवइयं अवाहाए सव्वब्भंतरे णक्खत्तमंडले पण्णत्ते ? गोयमा ! चोयालीस जोयणसहस्साई अट्ठ य वीसे जोयणसए अबाहाए सव्वन्तरे णक्खत्तमंडले पण्णत्ते ||
६२. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स केवइयं अबाहाए सव्वबाहिरए क्खत्तमंडले पण्णत्ते ? गोयमा ! पणयालीस जोयणसहस्साइं लिणि य तीसे जोयणसए अबहाए सब्वबाहिरए णक्खत्तमंडले पण्णत्ते ||
६३. सव्वब्भंतरे गं भंते ! क्वत्त मंडले केवइयं आयाम - विक्खमेणं, केवइयं परिवखेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! णवणउई जोयणनहस्साइं छच्चचत्ताले जोयणसए आयाम - विक्खभेणं, तिणि य जोयणसयसहस्साई पण्णरस जोयणसहस्साई एगुणणवई च जोयणाई किचिविसे साहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते ॥
४. सव्वबाहिरए णं भंते! णक्खत्तमंडले केवइयं आयाम विक्खभेणं, केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! एवं जोयणसयसहस्सं छच्च सट्ठे जोयणसए आयामविक्खभेणं, तिणि जोयणसय सहस्साइं अट्ठारस य जोयणसहस्साइं तिष्णि य पण्णरसुत्तरे जोस परिक्खेवेणं पण्णत्ते ॥
६५. जया णं भंते! णक्खत्ते सव्वमंतरमंडल उवसंकमित्ता चारं चरइ, तथा णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ? गोयमा ! पंच जोयणसहस्साई दोणि य पण्णट्ठे जोयणसए अट्ठारस य भागसहस्से दोण्णि य लेवट्ठे भागसए गच्छइ मंडलं एक्कवीसाए भागसहस्से हिं णवहि य सट्ठेहि सएहिं छेत्ता ॥
६६. जया णं भंते ! णक्खत्ते सव्वबाहिर मंडल उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया गं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ ? गोत्रमा ! पंच जोयणसहस्साइं तिष्णि य एगूण३. मंडलस्य (त्रि, प ) 1
९. माया (अ, क, ख, त्रि, ब, स ) । २. केवइयाए ( प ) सर्वत्र ।
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