________________
समजोतिभूत-समय समजोतिभूत [समज्योतिभूत] जी० ३।११८
समणुबद्ध [समनुबद्ध] रा० १४६,६७०. समज्जिणित्ता [समय॑] रा० ७५०
जी० ३६३२२,५६१ समज्जुइय [समद्युतिक] जी० ३३११२० समणोवासग [श्रमणोपासक] ओ० १६२ समट्ट [समर्थ ] ओ० ८६ से १५,११४,११७,१२०, समणोवासय [श्रमणोपासक] ओ० ७७,१२०,१४०,
१५५,१५७ से १६०,१६२,१६७,१६६,१७०, १६२. रा० ६६८,७५२,७८६ से ७६१ १७२,१७७,१८१,१८६ से १६१. रा० २५ से समणोवासिया [श्रमणोपासिका] ओ० ७७. ३१,४५,१७३,७५१,७५३,७५५,७५७,७५६, रा० ७५२ ७६१,७६३,७७१. जी० ३०८४,८५,११८, समण्णागय [समन्वागत ] ओ० ४३. रा० १२, १९८ से २०३,२७८ से २८५,६०१,६०२, ७५८,७५६. जी० ३.११८,२८५ ६०५ से ६०७,६०६,६१०,६१२ से ६१७,
समतल [समतल ओ०१६. जी० ३१५९६ ६२२ से ६२४,६२६,६२८,७८२,७८६,८६०, समताल समताल ] ओ० १४६. रा० ८०६ ८६६,८७२,८७८,६६० से ६६२, ६६४ से समतुरंगेमाण समतुरङ्गायत् ] जी० ३.१११ ६६६,१०२४
समत्त समस्त ] ओ० ६३. जी. ३१७०१
समत्तगणिपिडग | समस्तगणिपिटक | ओ० २६ समण [श्रमण ] अं० १६ से २५,२७,३३,४६ से ५३,५५,६२,६६ से ७१,७८ से ८३.९५,११७, समत्थ | समर्थ ] ओ० १४८,१४६. स० १२,७३७,
७५८,७५६,७७०,८०६. जी० ३३११८ १२०,१५५,१५६,१६२,१७०. रा०८ से १३, १५,५६,५८ से ६५,६८,७३,७४,७६,८१,८३. समन्नागय [समन्वागत ] रा. १७३
समप्पभ [समप्रभ ] रा० २०५. जी० ३१४५१ ११३,११८,१२०,१२१,१३१,१३२, १४७ से १५१, १८५,१६७,६६७,६६८,६७१,६६८,
समबल [समबल ] जी० ३।११२० ७१८,७१९,७३६,७४८ से ७५०,७५२,७८७ से .
समभिजाणित्ता [समभिज्ञाय] रा० २७६.
जी० ३।४४२ ७८१,८१७. जी० ११५६,६२,६५,८२,६६, १२८, २१४०; ३३१७६,१७८,१८०,१८२,
सिमभिलोय [सं+अभि+ लोक्] —समभिलोएइ.
रा० ७६५—समभिलोएति. रा०७६५. २५६,२६६,२६७,३०१,३०२,३२१ से ३२४,
--समभिलोएमि रा० ७६४ ५८२,५८६ से ५६५,५६८,६००,६०३ से
समय समय | ओ० १,१८,१६,२३ से २५,२७, ६०७,६०४ से ६१७,६२०,६२२ से ६२५,
२८,४५,४७ से ५१,८२,११५,१७३,१७४, ६२७,६२८,६३०,७६५,८४१,९६५,१०५६, ११२०
१८२,१६५६३. रा० १,७,७६,१७३,२७४,
६६८,६७६,६८५,६८६,७७१. जी० ११९,३३; समणी [श्रमणी जी० ३१७९५,८४१
२१४८,५४ से ५६,६५,८६,८८,८६,११७, सिमणु गच्छ सम् + अनु+ गम् ]-~-समणुगच्छंति
१२३,१३२:३१८६,६०,११८,११६,२१०, रा० ५५
२११,२८५,४३६,५८८,५८६,८४१,८४४. समणुगम्ममाण [समनुगम्यमान] ओ० ६५.
८४७,६७३,१०८३,१०८५,१०८६७।१ से ___जो० ३११७४
६, ६ से १८, २० से २३; ६०१ से ७, २४, समणुगाहिज्जमाण [समनुग्राह्यमान] जी० ३ १७४ २५,४०,४३,४८ से ५१,५७,६०,११४,११८, समणुचितिज्जमाण [समनुचिन्त्यमान ] जी० ॥१७४ १२४,१२५,१२७,१३४,१३८,१४२,१४६, समणुपेहिज्जमाण [समनुप्रेक्ष्यमान | जी० ३।१७४ १५०,१५२,१६१,१६२,१७१,१७२,१७६,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org