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________________ ६५४ दीaिr [ द्वीपिक ] रा० २४. जी० ३१८४, २७७ दीविया [ दीपिका ] जी० ३.५८६ बीविल्लग | द्वीपग] ] जी०३२७७५ बीह [ दीर्घ ] ओ० १४,१६,२८,११६,११७, १६५४.२० १६०, २५६,६७१,७६५,७७४. जी० ३१३३३,४१७,५६६,५६७ दीहासण | दीर्घासन रा० १८१, १८३. जी० ३।२६३ दोहिया [ दीधिकः ] ओ० १,६,६६. ० १७४, १७५, १८० जी० ३।२७५,२८६ दहीकर | दीर्घा -: कृ | — दोहोकरेज्जा. जी० ३३६६७ tatafone | कतुम् ] जी० ३१६६४ से ६६७ दु [द्वि ] रा० ४७. जी० १३६ बुंदुभिस्सर [दुन्दुभिस्वर ] ओ० ७१. रा० ६१ कुंदुहिणिग्घोस | दुन्दुभिनिर्घोष ] ओ० ६७. रा० १३,१३५. जी० ३।४४६, ५.५७ दुहिनिग्घोस [ दुन्दुभिनिर्घोष ] रा० ६५७. जी० ३।५५७ दुहिस्सर [दुन्दुभिस्वर | रा० १३५. जो० ३१२०५ दुही [ दुन्दुभी ] रा० ७७ दुक्ख | दुःख ] ओ० २६,४६,७२,७४१,४,५, १५४,१६५, १६६,१७७,१८१, १६५ २१. रा० ७७१,७६५,८१६. गो० १११३३ ३११० १२६७८ ८३८।१३ दुक्खुत्तो द्रिम् | जी० ३।७३०, ७३१ दुखुर | द्विर जी० १।१०३ गुण | द्विगुण] जी० ३।२५६ दुगुणित ( द्विगुणित ] जी० ३२५६७ दुगुणिय | द्विगुणित ] जी० ३८३४१२४ दुगुल्ल | दुकूल ] रा० ३७,२४५. जी० ३१३११, ४०७,५६५ दु [] ०७६५. जी० ३।११० दु | दुर्गन्ध ] रा० ७५३ Jain Education International दुधण [दुषण ] रा० १२, ७५८,७५६. जी० ३।११८ दीविय दुय दुघरंतरिय | द्विगृहान्तरिक ओ० १५८ दुचिण | दुश्चीर्ण ] ओ० ७१ दु [दुष्ट ] ओ०४६ दुत | द्रुत | जी० ३,४४७ दुतविलंबित [ द्रुतविलम्बित | जी० ३२४४७ बुद्ध [ दुग्ध ] जी० ३१५६२ बुद्धजाति ( दुग्धजाति ] जी० ३१५८६ दुसरिस [ दुर्धपं ] ओ० २७. रा० ८१३ दुपार | द्वित्यावतार, द्विपदावतार] ओ० ५२. रा० ६८७ दुपय [ द्विपद ] रा० ७०३, ७१८ पाय [ द्विपक] जी० ३।११८,११६ दुप्पय [ द्विपदं | रा० ६७१ दुप्पवेस | दुष्प्रवेश ] बो० १ फास [ दुःस्पर्श ] जी० ३२९८१ फासत [ दुःस्पर्शत्व ] जी० ३।६८७ दुब्बल [ दुर्बल ] ओ० १४. रा० ६७१,७६०,७६१. जी० ३ ११८, ११६ दुम्बलय [ दुर्बलक ] रा० ७६१ दुभिक्ख [दुनिक्ष] ओ० १४. रा० ६७१ दुभिक्खभत्त | दुर्भिक्षभक्त | ओ० १३४ दुभिखमय [ दुर्भिक्षमृतक ] ओ० ६० दुभिगंध [दुर्गन्ध | रा० ६, १२. जी० ११५, ३६, ३७, ५०, ३१२२,६२२,६७६,६८५ दुभिगंधत्त | दुर्गन्धत्व ] जी० ३२६८५ दुब्भिसद्द [ दुःशब्द ] जी० ३।६७७, ६८३ बुब्भसद्दत्त [ दुःशब्दत्व | जी० ३१६६३ बुब्भूय [दुर्भूत ] जी० ३३६२८ दुभागत्तोमोरिय| द्विभागाप्तवमोदरिक ] ओ० ३३ दुम [भ] रा० १३६. जी० ३१३०६,५८२,५८६ से ५६५,६०४ दुमासपरियाय [हिमाप] ओ० २३ दु [] रा० १०२,२०१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003570
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages639
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size13 MB
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