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________________ जंत-जनबोल ६२५ ५६६,५६७ यूकस [जम्बूफल ] ओ० १३. रा० २५.५ जंत [यन्त्र] ओ० १४ रा० १७,१८, २०,३२, जी० ३।२७८ १२६,६७१. जी. ३२२८८,३००,३७२ अंबफलकालिया जिम्बूफलकालिया] जी० ३१८६० जंतकम्म [ यन्त्रकर्मन् ] ओ० ६४. रा० १७३,६८१. जंबूरुक्ख [जम्बूरूक्ष ] जी० ३१७०२ जी० ३।२८५ जंबूवण (जम्बूवन] जी० ३१७०२ अंतवारचल्ली [यन्त्रपाट चुल्ली] जी० ३१११८ जंबूसंउ [जम्बूपण्ड] जी० ३।७०२ जंबुद्दीव [जम्बूद्वीप] ओ० १७०. रा. ७ से १०, जंभाइत्ता | जृम्भयित्वा] जी० ३१६३० १३,१५,५६,१२४,६६८. जी. ३८६,२१७, जक्ख ! यक्ष ] ओ० ४६,१२०.१६२. रा०६९८, २१६ से २२१.२२७२५६,२६०,२६६. ७५२,७८६. जो० ३१७८०,६४७,६५० ३००,३५१.४४५,५६६,५६८ से ५७७,६३८, जक्खगह [यक्षग्रह | जी० ३।६२८ ६६०,६६५,६६६.६६८,७०१ से ७०४,७०८, जक्खपडिमा [ यक्षप्रतिमा ] रा० २५७. जी० ३१४१५ ७२३,७३६,७४०,७४२,७४५,७५०,७५४, जक्खमंडलपविभत्ति (यक्षमण्डलप्रविभक्ति। रा०६० ७६२,७६४ से ७६६,७७५,७६५.६.१६ से १२२, जक्खमह [यक्षमह] रा० ६८८, जी० ३१६१५ ६५३,१०३६.१०७४,१०८० जस्खालित्त [यक्षादीप्त ] जी० ३।६२६ जंबुद्दीवग [जम्बूद्वीपक] जी० ३१७०६,७१०, जगईपब्वय [जगतीपर्वत] रा० १८१ ७६२,७६४ से ७६६,८१४ जाईपव्वयग [जगतीपर्वतक] रा० १८० जंबुद्दीवाहिवति [जम्बूद्वीपाधिपति] जी० ३।७६५ अगती [जगती] जी० ३।२६० से २६३,२७३, जंबुपेठ ]जम्बूपीठ] जी० ३१६६८,६६६ जंबू [जम्बू ] जी० ०७१, ३॥६६८,६७२,६७३, बगतीपश्चयग [जगतीपर्वतक] जी० ३२६२ ६७८ से ६८३,६८८,६८६,६६२ से ७००, अघण [जधन ] ओ०१५ जच्च [जात्य ] ओ० १६,६४. जी० ३.५६६,५९७, जंबूणदमय [जाम्बूनदमय जी० ३१३२३ ८५४,८७८ जंबूणय [जाम्बूनद] रा० १५६,२२८. जच्चकणग जात्यकनक] ओ० २७. रा० ८१३ जी० ३१३३२,३८७,६७२ जच्च हिंगुलुथ [जात्यहिंगुलुक] जी० ३१५६० बंधणयमय [जाम्बूनदमय रा० ३७,१५०. जज्जरिय [जर्जरित रा०७६०,७६१ जी० ३१३११,४०७,६४३ जडि [जटिन्] ओ० ६४ जंबूणयामय जाम्बूनदमय] रा० १३५,१८८, जड्ड [जाड्य] रा० ७३२,७३५,७६५ २४५. जी० ३।३०५,३६१,६६६,६८६, जण जन] ओ० १,६,६८,११६. रा० १२३, ८३६ ७६६ जंबूदीव [जम्बूद्वीप] जी० ३१७००,७५४,१००१, जणइत्ता [जनयित्वा] ओ० ६६ १००७,१०२२ जणउम्मि [जनोमि रा०६८७,७१२ जंबूदीवाहिवति [जम्बूद्वीपाधिपति ] जी० ३१७०० जणकलकल {जन कलकल ] ओ० ५२. रा० ६८७, जंबूपल्लवपविभत्ति [जम्बूपल्लवप्रविभक्ति] ६८८,७१२ रा० १०० जणक्सय [जनक्षय ] जी० ३।६२८ जंबूपेढ [जम्बूपीठ] जी० ३१६६८,६७० जणबोल जनबोल] ओ० ५२. रा० ६८७,७१२ २६८ ७६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003570
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages639
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size13 MB
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