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अपुरोहिय-अप्पुस्सुय अपुरोपुहय [अपुरोहित] जी० ३३११२०
अप्पतराय [अल्पतरक] रा० ७७२ अपुष्य अपूर्व] जी० १४५०
अप्पतिट्ठाण [अप्रतिष्ठान] जी० ३:११७ अपूह' [अपोह] ओ० ११६,१५६
अप्पदुस्समाण [अप्रद्विषत् ] रा० ७६६ अपेज [अपेय ] जी० ३१७२१
अप्पनीसासतराय [अल्पनिःश्वासतरक] अप्प [अल्प ओ० २०,५३,६१ से ६३. रा० १२,
रा० ७७२ ६८५,६६२,७००,७१६,७२६.७५३,७५८,
अप्पनीहारतराय [अल्पनीहारतरक] रा० ७७२ ७५९,७७२,७७४,८०२. जी०१।१४३; २०६८ अप्पपरिग्गह । अल्पपरिग्रह ] ओ० ६१ से १३, से ७२,७५,९६,१३४ से १३८,१४१ से १४६; १६१,१६३ ३३११८,६६५,१०३७,११३८; ४:१६,२२,
अप्पबहु [अल्पबहु] जी० २११५१ ; ४१२५ २५, १६,२०,२६,२७,३२ से ३६,५२,
अप्पबहुप [अल्पबहुक] जो०६६ ५६,६०; ७४२०,२२,२३ ; ६७,१४,५५,
अप्पमत्त अप्रमत्त ] ओ० २७ रा० ५१३ २५० से २५३,२५५२८६ से २६३
अपमहतराय [ अल्पमहत्तरक १० ७७२
अप्पमाण [अल्पमान] ओ० ३३ अप्प [आत्मन् ] ओ०२१ से २६,४५,५२,७१,८२,
अप्पमाय (अल्पमाय] ओ० ३३ ८६,६४,६८,१२०,१४०,१५४,१५५,१५७,
अप्पलोह {अल्पलोभ ओ० ३३ १६०.रा०८,९,२८५,६८६,६८७,६८६,६६८,
अप्पसद्द [अल्पशब्द ] ओ० ३३ १११,७१३,७१६,७५२,७५३,७८७,७८६,
अप्पाण [प्रात्मन् ] जी० ३।१९८ से २०६.४५१ ५१४,८१६,८१७. जी. ३.५६६,६४४
अप्पाबहु [अल्बहु] जी० ४।२२:७।२१; ६३३७ अप्पकंप [अप्रकम्प ओ० २७. रा० ८१३
अप्पाबहुग [अल्पबहुक] जी० श२५,७४२०; अप्पकम्मतराय [अल्पकर्मतरक] रा० ७७२
का५;६२७ अप्पकिरियतराय [अल्यक्रियातरक रा० ७७२
अप्पाबहुय [अल्पबहुक } जी० २१६४,५११८,३१% अप्पकोह [अल्पक्रोघ] ओ० ३३
६६१२,६४१७,२०,३५,६१,६६,७४,८७,६४, अप्पगति [अल्पगति] जी० ३.११२०
१००,१०८,११२,१२०,१३०,१४०,१४७, अप्पज्जइतराय [अल्पधुतितरक] रा० ७७२
१५५,१५८,१६६,१६६,१८१,१८४,१६६, अप्पझंश {अल्पझञ्झ] ओ० ३३ ।।
२०८,२२०,२३१ २५४,२६६. अप्परिकम्म [अप्रतिकर्मन् | ओ० ३२
अप्पारंभ [अल्पारम्भ | ओ०६१ से ३,१६१,१६३ अप्पडिबद्ध [अप्रतिबद्ध] ओ० २६
अप्पासवतराय [अल्यानवतरक] रा० ७७२ अप्पडिलेस [अप्रतिलेश्य ओ० २५
अप्पाहार [अल्पाहार] ओ० ३३ अप्पडिलोमया | अप्रतिलोमता] ओ० ४०
अप्पाहारतराय [अल्पाहारतरक] रा० ७७२ अप्पडिवाइ [अप्रतिपातिन् । ओ० ४३
अप्पिच्छ [अल्वेच्छ} आ० ६१ से १३ जी० ३३५६८ अप्पडिहय [अप्रतिहत] ओ० १६,२१,२७,५४,८४,
अप्पिडितराय [अल्पर्धितरक] रा० ७७२ ८५,८७,८८.० ८,२६२,७५५,७५७,८१३.
अपिडिय [अल्पधिक] जी० ३।१०२१ जी० ३।४५७
अप्पिय अप्रिय ] रा० ७६७ जी० १२९५, ३१९२ अप्पणया [आत्मन् जी० १,५०,६६
अप्पियतरक [अप्रियता क] जी० ३८४ अप्पतर [अल्पतर ओ० ८६
अप्पुस्सासतराय [अल्पोच्छ्वासतरक] रा. ७७२ १. वृत्ती-बूह [ व्यूह] इति व्याख्यातमस्ति । अप्पुस्सय [अल्पौत्सुक्य ] मो० १६४
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