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परिशिष्ट-१ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और आधार-स्थल निर्देश
ओवाइयं
पूर्ति आधार-स्थल सूत्र
पूर्त-स्थल सूत्र
११७
१५७
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८६ १५३ १४६ १८३ ११७
वृत्ति, पृष्ठ १८८
१०५
संक्षिप्त-पाठ अगामियाए जाव अडवीए अद्रारस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता परलोगस्स आराहया सेसं तं चेव अणंते जाव केवलवरणाणदंसणे अण्णभोगेहिं जाव सयणभोगेहि अपज्जवसिया जाव चिट्ठति अपडिविरया एवं जाव परिग्गहाओ अभिगय जीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, णवरं ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चियत्तंतेउरघरदारपवेसी' एयं ण बुच्चई अयबंधणाणि वा जाव महद्धणमोल्लाई अवहमाणए जाव से असंजए जाव एगंतसुत्ते आगमेसिभद्दा जाव पडिरूवा आभिणिबोहियणाणी जाव केवलणाणी आयारधरा जाव विवागसुयधरा आवलियाए जाव अयणे इरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी उदए जाव झीणे एक्कतीसं सागरोवमाइंठिई परलोगस्स अणाराहगा सेसं तं चेव एवं एएणं अभिलावेणं तिरिक्खजोणिएसु एवं चेव पसत्थं भाणियव्वं १. क्वचित्-'चियत्तघरतेउरपवेसी' ति (व) ।
१२० १०६
१३७ ८५,८७
७२
८४ वृत्ति, पृष्ठ १५३
नंदी सू०२ नंदी सू० ७६ वृत्ति, पृष्ठ ६८
१५२ ११७
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