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________________ ७६८ सुहमवाउकाइय [सूक्ष्मवायुकायिक] जी० ५।२७, ३४ सुमवाक्काय [सूक्ष्मवायुकायिक ] जी० १।५० सुमपरायचरितविणय | सूक्ष्मसम्परायचरित्रविनय | ओ० ४० सुमसरीर | सूक्ष्मशरीर | जी० ३११२६/६ सुहय | सुहुत ] भ० २७. रा० ८१३ सुहोत्तार | सुखोत्तार ] जी० ३।५६४ सुहोदय | शुभोदक, सुखोदक | ओ० ६३ सुहोयार | सुखावतार | जी० ३१२८६ सूइभूत | सूचीभूत ] जी० ३१४४३ सूई | शुत्री ] रा० १६,१३०,१७५,१८०,११७. जी० ३।२६४,२६६,२८७, ३०० सूईकलाव [ शुचीकलाप ] जी० ११७७,७६ सूईपुडंतर [ शुचोपुटान्तर | रा० १६७. जी ३१२६६ सूईफलय | शुचीफलक [ रा० १६७. जी० ३१२६६ सूईभूय | शुचीभूत ] रा २८८ सूईमुख [ सूचीमुख ] रा० १६७ समुह शुचीमुख ] जी० ३।२६६ सूचिकलाव [ शुचिकलाप ] जी० ३१८५ सूणगलंछणय [सूणालाञ्छक | रा० ७६७ सूमाल [सुकुमार] रा० २८५. जी० ३१२७४, ४५१ सूयगडघर [ सूत्रकृतधर] ओ० ४५ सूयपुरिस [ सूपपुरुष ] जी० ३१५६२,५६७ सूर [ सूर] मो० १६,२२,२७,५०. रा० १३३, ७७७७७८,७८८८०३,८१३. जी० २ १८; ३।२५८, ३०३, ५८६, ५६३, ५६६,७६५, ७६७, ७६६,७७१,७७३,७७५, ७७७,७७६, ८३८१४, १०,१५,२१,२३,२४,२७,२८,२६,३२,६३७, ६५०,६५३,१०१६, १०२०, १०२१,१०२६, ११२२ सूरकतमणि [ सूरकान्तमणि] जी० १७८ सूरणकंद [ शूरणकन्द ] जी० ११७३ सूरत्थमणपविभत्ति [ सूरास्तमनप्रविभक्ति ] रा० ८६ Jain Education International सुहमवाउकाइय-सूरित्लि मंडवग सूरवीर [सुरद्वीप ] जी० ३।७६५,७६६,७७१,७७७ सूरद्दीव [ सुरद्वीप ] जी० ३।६३७ सूरपरिएस | सूरपरिवेश ] जी० ३१८४१ सूरपरिवेस | सुरपरिवेश ] जी० ३।६२६ सूरख्पभा | सूरप्रभा ] जी० ३ । ७६५, १०२६ सूरमंडल [ सुरमण्डल ] रा० २४. जी० ३।२७७, ५६० सूरमंडलपविभत्ति | सूरमण्डलत्र विभक्ति ] रा० १० सूरवडेंस [ सूरावतंसक ] जी० ३।१०२६ सूरवरोभास | सुरवरावभास] जी० ३।६३८ सूरविमाण [ सूरविमान ] जी० २२४१; ३३१००३ से १००५,१००६,१०११,१०२६ सुरागमणपविभत्ति [ सुरागमनप्रविभक्ति ] रा० ८७ सूराभिमुह | सूराभिमुख ] अ० ११६ सूरावरणपविभत्ति | सुरावरणप्रविभक्ति ] रा० द सूरावलिपविभत्ति [सुरावलिप्रविभक्ति] रा० ८५. सूरि | सूर्य | ओ० १६२. २०४५,१२४. जी० ३२१७६, १७८, १८०, १८२, २५७,७०३, ७२२,८०६,८२०,८३०,८३४,८३७,८४१,८४२, ८४५,६८० से १०००, १०२०,१०३७,१०३८ सूरियकंत [ सूर्यकान्त ] रा० ६७३,६७४,७६१ से ७६३ सूरियता सूर्यकान्ता ] रा० ६७२,६७३,७५१, ७७६,७६१ से ७६४,७९६ सूरियाभ [ सूर्याभ] रा० ७,६,१०.१२ से १८,४१ से ४४,४६ से ४६.५५ ६५,६८,६६,७१ से ७४, ११८ से १२०,१२२, १२४१२६,१२६, १६२,१६३, १६.०, १००, १७, २४० २०९, २६.५. २६८,२७०, २७४ से २६१,६५४ से ६६७, ७७६६ से ७६६ सूरियाभविमाणप | सूर्याभविमानपति ] रा सूरियाभविमाणवासि [ सूर्याभविमानवासिन् ] २० ७,१५ से १७, ५५,५६,५८,२८०, २८२, २८६, २६१,६५७ सूरिल्लि मंडवग [ दे० सूरिल्लिमण्डपक] रा० १८४. जी० ३।२६६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003569
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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