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________________ नारी-निभ नारी [नारी ] रा० १७३ नाल [नाल ] जी० ३।६४३ तालिएर | नालिकेर | जी० १।७२ नाली | नाडी | जी० ३७८ नावा [नौ] जी० ३१७६३ नासा [ नासा ] रा० २८५. जी० ३।४५१ नासिगा [ नासिका ] रा० २५४ निजण | निपुण] ओ० ६३. रा० ६६,७०,६७२, ७५ से ७६१,८०४. जी० ३।११८ निंदणा ( निन्दना ] ओ० १५४, १६५,१६६. रा० ८१६ निंब [निम्त्र ] जी० ११७१ free [ निकर ] ओ० १३ निकुरंब [ निकुरम्ब | रा० ७०३. जी० ३।२७३ निकुरु' ब [निकुरुम्ब] ] ओ० १६ frrier [ निष्कङ्कट ] ओ० १२,१६४. रा० २१, २३,३२,३४,३६,१२४, १४५, १५७. जी० ३१२६६ freete | fromोध ] ओ० १६८ निक्खमंत | निष्क्रामत् | जी० ३३८३८११४ freanण [ निष्क्रमण | जी० ३१५६४,६१७ निगम [ निगम ] ओ० १८,६८,८० से ६३,६५, ६६, १५५,१५८ से १६१,१६३,१६८. रा० ६६७, ७५४, ७५६, ७६२, ७६४ / निहि [निः । - ग्रह ] - निगिण्हइ. रा० ६८३ निर्णय | न ] ओ० २४,७६ से ८१,१२०, १६२,१६४. रा० ६३,६५,७३,७४, ११८, ६६५,६६८, ७३८,७५२,७८६ √ निगच्छ [ निर् + गम् ] निग्गच्छइ. ओ० ६७. रा० २७७ – निम्गच्छति ओ० ७० रा० ७४ - निग्गच्छति रा० २८३ निग्गच्छमाण [ निर्गच्छत् ] ओ० ६८ निगच्छत्ता [ निर्गत्य ] ओ० ६६. रा० २८३ निगमण [ निर्गमन ] जी० ३१८४१ निम्य [ निर्गत ] रा० ६,७५४ Jain Education International निग्रह [ निग्रह] ओ० ३७. रा० ६८६ निःगुण [ निर्गुण] रा० ६७१ निग्धोस [ निर्घोष ] जी० ३।४४८, ५५७ fric | निघण्टु ] ओ० ६७ निस | निकष ] रा० २८. जी० ३३२८१ निचय | निचय | रा० ३१ निचिय [ निचित ] ओ० १६. रा० १२,७५५, ७५८, ७५६,७७२. जी० ३।११८, ५६६ निच्च | नित्य | ओ० ४६. रा० १५. जी० ३।३६०, ५८४,८३८१७ निच्छय [ निश्चय ] ओ० २५, रा० ६७५,६८६ निच्छोडणा | निश्छोटना ] रा० ७७६ निच्छोडित्तए | निश्ोटयितुम् ] रा० ७३६ निजुद्ध | निर्युद्ध | ओ० १४६. जी० ८०६ निज्जरा | निर्जरा | ओ० १२०,१६२, १६६. रा० ६६८, ७५२,७८६ ६६३ निज्जिय | निर्जित | ओ० १४. रा० ६७१ निज्जीव | निर्जीव | ओ० १४६. रा० ८०६ निज्जुत [ निर्युक्त ] जी० ३१२८५ निट्ठिय [निष्ठित ] ओ० १८३,१८४, रा० ७७४ निठुर | निष्ठुर ] रा० ७६५. जी० ३।११० निडाल [ ललाट ] जी० ३१३०३,५१६ निद्दा | नि+द्रा ] - निद्दाएज्ज. जी० ३।११६ निद्ध | स्निग्ध | जी० ११५, ५०६ ३१२७५,५६६ नित | निर्मात | जी० ३०५६०, ५६६ निम | निर्धूम ] जी० ३१५६० निय | नित | ओ० ५०. जी० ३।२७४ निष्पंक | निष्पक] ओ० १२. रा० २१,२३,३२, _३४,३६,१२४, १४५, १५७. जी० ३।२६६ निष्पकंप | निष्प्रकम्प | आं० ४६ निष्प चक्खाण | निष्प्रत्याख्यान | रा० ६७१ निष्पन्न | निष्पन्न ] जी० ३।६०२ निबद्ध [ निवद्ध ] रा० ७७२ निन्छना | निर्भर्त्सना ] रा० ७७६ तिब्भंछित । निमंत्सितुम् ] रा० ७७६ निभ [ निम] रा० ५१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003569
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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