SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 309
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धमदंत-चउद्दस ५८६,५९६,८४२,८४५,१०२५,११२२ घणदंत | घनदन्त] जी० ३।२१६,२२६ घणवतद्दीव [घनदन्तद्वीप ] जी० ३।२२६॥६ घणवात [धनवात] जी० ३१३,१६,२१,२६,२७, ३७,४७,४६,५०,६४ घणवाय घिनवात ] जी० १९८१, ३१३०,३८,४२, १०५८,१०५६ घणोदधि [घनोदधि] जी० ३६१३,२६,३०,३२, ३७ से ४०, ४५,४६,४८,४६,६० से ७२ घणोदहि [घनोदधि] जी० ३।१८,२०,२७,६३, १०५७ घम्मा [धर्मा] जी० ३।३ घय [धृत] जी० ३३५६२,७७५ घयवर [धृतवर] जी० ३८६८,८६६,८७१ घयोदघतोद] जी० ३८७१,८७२,८७४,६६०, घुण [घुण] रा० ७६१ घुम्मत [पूर्ण्यमान] ओ०४६ घोड [घोट] जी० ३.६१८ घोर घोर | ओ० ४६,८२ रा० ६८६ घोरगुण [घोरगुण] ओ० ८२. रा०६८६ घोरतवस्सि [घोरतपस्विन् ] ओ० ८२. रा० ६८६ घोरबंभचेरवासि | घोरब्रह्मचर्यवासिन् ] ओ० ८२. रा० ६८६ घोलंत [घोलयत् ] ओ० २१,५४. रा०८,७१४ घोलियग [धोलितक] ओ०६० घोस [घोय] मो० ६६ घोसण [ घोषण] रा० १५ घोसाडिया कोशातकी] रा० २८. जी० ३।२८१ घोसेयब्व [घोषयितव्य ] जी० ३।८८ [ड] रा०६५ कारपविभत्ति [ङकारप्रविभक्ति] रा० ६५ घयोदग [घृतोदक] जी० ३ घर [गृह } ओ० २८,११८,११६,१५४,१६२, १६५,१६६. रा० ६६८,७५२,७८६. जी० ३१५६४ घरग गृहक ] जी० ३१५७६ घरय [गृहक ] ओ०७,८,१०. रा० १८३. जी० ३१५७६,५६३ घरसमुदाणिय [गृहसामुदानिक ] ओ० १५८ घरह | गृहक ] जी० ३१८६३ घरोलिया गृहकोकिला | जी० राई घाइ | घातिन् ] ओ० ८७ घाण घ्राण ओ० १७०. रा०३०,१३२,२३६. जी० ३१२८३,३०२,३९८ घाणिदिय घ्राणेन्द्रिय ] ओ० ३७. जी. ३१९७६ घातक [घातक जी० ३४६१२ घाय [घात] रा०६७१ घास | ग्राम | ओ० ३३ छ [च ] ओ० ७, रा० ७. जी० २१ चइता [त्यत्वा, चित्वा] ओ०२३. रा० ७६६ चइत्ताणं [त्यक्त्वा ] ओ० १६५।१ चउ [चतुर्] ओ०१६. रा० ७. जी० श१६ चउपक [चतुक] ओ० १,५२,५५. रा०६५४,६८७, ७१२. जी०३।२२६५५४ चउक्कत चतुष्कक मी० ३३१४२,१४४ चउक्कय [चतुष्कक] ० ६५५ चउणउय | चतुर्नवनि | जी० ३१८२३ चउत्थ [चतुर्थ] ओ० १७४,१७६. जी० १।१२१ चउत्थग [चतुर्थक जी० ६.१४६ चउत्थभत्त | चतुर्थभक्त ] ओ० ३२ चउत्था | चतुर्थी ] जी० ३१२ चउत्थी चतुर्थी | जी० २।१४८,१४६; ३.४, ६६,८८,६१.१६५,११११ चउदसपुन्वि [चतुर्दशपूर्विन् ] रा०६८६ चउद्दस [चतुर्दशन् ] ओ० १६. जी० २१४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003569
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy