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________________ ६१० गज्जित-गयलक्षण जी० ३.४४७ गम्भस्थ [गर्भस्थ ] ओ० १४२,१४४ गज्जित [गजित] जी. ३१६२६ गम्भवक्कैतिय [गर्भावक्रान्तिक] जी० ११६७,११७, गड्ड [गतं] जी० ३१६२३,६३१.३ १२५,१२६,१२६; ३।१३८,१४०,१४२,१४५, गिढ [ग्रथ् ]-- गढेज्जा. जी० ३।६६३ १४६,२१२,२१५,२२६ गठित्तए [ग्रथयितुम्] जी० ३१६६० गम्भवास [गर्भवास] ओ० १६५ गढिय [ग्रथित ] रा० ७५३ गम्भाहाण [गर्भाधान ] रा० ८०३ गण [गण] आ० ६.१६,४०,४१,४६,५०,६३,६८, गम गिम्]--गमिस्सामो. ओ १८.-गमिहिति. १५५,१६२,१६२. रा० ३२,२०६,२११. रा० ७६६.-—गम्मती. ओ०७४ जो० ३ ११८,११६,२७५,३७२,५८२,५८६ स गम गम] जी० ३१२१८,६६६,७१३,७४२,७४४, ५६६, ६००,६०३ से ६१७,६२०,६२५,६२७, ७४५,६२८,९२६.१०४५,१०४८ ६२८,६३०,६३९,७४६,११२० गमण [गमन] ओ० ४०,४६,६५,६६,१२२, गमग [गणक] ओ० १८. रा० ७५४,७५६,७६२, रा० १७,१८,२८८,६५६,६६७,७७५,७७६, ७६४ ७८०. जी० ३४५४,५५६ गणणायक [मणनायक] ओ०१८ गमय [गमक] रा०२५१,२६५. जी०३७५१ गणनायक [गणनायक ] ओ० ६३. रा० ७५४,७५६, गमित्तए [गन्तुम् ] ओ० १०० ७६२,७६४ गय [गज] ओ० १६,४८,५२,५५ से ५७,६२,६४, गणविउस्सग्ग {गणव्युत्सर्ग ] ओ० ४४ ६५. रा०२५,१४१,१४८,१६२,६८७ से ६८६. गणिय [गणित] ओ० १४६. रा० ८०६,८०७ जी० ३१२६६,२७८,३१८,३२१,३५५,४५४, गणवेयावच्च {गणवैयावृत्य] ओ० ४१ ५८६,५६६,५६७,१०१५ गणेत्तिया [दे०] ओ० ११७ गय [गत] ओ० १५,१६,२१,४६ से ४६,६५,१७२, मत [गत] रा० १२२,२८३,२८६. जी० ३१४४३, १७५,१७७,१६५।२२. रा०८,४७,६८,१२२, ४४७,४४६,४५६,५५७,७४६ १२३,१७३,२७५,२७७,२८१,२८६,२६०, गता [गदा जी० ३।११० ६५७,६७२,६८७ से ६८६,७१०,७१९,७५३, गति गति] रा०८१५. जी. ३१५६७,८४२,८४५ ७६५,७७४,७६४,८००,८०२,८०६,१०, गतिकल्लाण [गतिकल्याण] ओ०७२ जी. ३१२८५,४४१,४५५,५६६,५६७ गतिय [गतिक जी० ११५६,६२,६५,६७,७९,८०, गयकंठ [गजकण्ड ] रा० १५५,२५८. जी० ३।३२८ ८२,१०३,१११,११२,११६,११६,१२३,१२८, गयकंठग [गजकण्ठक] जी० ३१४१६ १३४,१३६ गयकरण [गजकर्ण] जी० ३१२१६,२२३ गयकण्णदीव [गजकर्णद्वीप] जी० ३ २२३ गत गात्र] ओ० ४७,६३. रा० १२,३७,७५८ से गयकलभ [गजकलभ] रा०२५. जी० ३.२७८ ७६१ जी० ३३११८,३११,४०७ गयजोहि [गजयोधिन् ] ओ० १४८,१४६. गत्तग [गात्रक] रा० २४५ रा० ८१०,८११ गम्भ [गर्भ रा० ८००,८०२. जी० ३.५६२ गयवंत | गजदन्त] रा० २६,१३२. जी० ३१२८२, गम्भघर गर्भगृह जी० ३१५६४ गन्भघरग [गर्भगृहक ] रा ० १८२,१८३. पयवहया [गतपतिका] ओ०६२ जी० ३.२६४ गयलक्षण [गतलक्षण] ओ० १४६. रा० ८०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003569
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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