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________________ खुड्डालिंजर-गंडलेहा खुडालिजर [दे० क्षुद्रकालिञ्जर जी० ३।७२६ खोतोदय [क्षोदोदक जी० ११६५ खुड्डिय [क्षुद्रिक जी० ३५९३ खोद क्षीद] जी ३४१३१,६४६ खुड्डिया [क्षुद्रिका] ओ० २४. रा० १७४,१७५, खोदरस [क्षोदरस] जी० ३१८७८ १८०,७७२. जी० ३।१२४,१२५,२८६,२८७, खोदवर। र] जी० ३१८७४,८७५,८७७,६२७ २६२,५७६,६३७,७३८,७४३,७६३,८५७,८६३, खोदोद [क्षोदोद | जी० ३१८७७,८७८ ८८०,६२५, ८६६,८७५,८८१ ६२८,६३२ खुत्तग [दे०] ओ०६० खोदोदग [क्षोदोदक जी० ३१८७५,८८१, ६१० खुद्द क्षुिद्र ] रा० ६७१ खोदोय क्षोदोद, जी० ३।२८६ खुम्भ [क्षुभ् !-- -खुब्भंति जी० ३।७२६ खोदोयग [क्षोदोदक रा० १७४ खुभियजल क्षुभितजल | जी० ३१७८३,७८४ खोमिय क्षोमित ] रा० १७३. जी० ३१२८५ खुरपत्त [क्षुरपत्र] जी० ३।५।। खोम क्षौम ] रा० ३७,२४५ जी० ३३३११ खुहा [क्षुधा ] ओ० ११७. रा० ७६६. जी० ४०७,५६५ ३३१०६,११८,११६,१२८,१११४ खोय क्षोद] जी० ३१७७५ खेड (खेट | ओ०६८,८४ से ६३,६५,९६,१५५, खोयरस {क्षोदरस ] जी० ३।५८६ १५८ से १६१,१६३,१६८. रा० ६६७ खेत [क्षेत्र] ओ० २८,१६२. जी० ११५०; २।२६ से २६,५४ से ५६,६५,८४,८८,११४,१२३, गग] रा०६५ १३२, ३।१०७, ७४१,७६१,८३८।२५, गइ { गति ] ओ० १६,२१,२७,४६,५०,५४,८६ से ११११ ६५, ११४,११७, १५५, १५७ से १६०, खेत्तओ क्षेत्रतस् । ओ० २८. जी० ११३३,१३६, १६२,१६७,१७२. रा० ७५५,७५७,८१३ १४०।२।१२०, ५८,९,२३.२६; २३, जी० ११४; ३१८३८१२२ ४०,६७,२५७ गइय [गतिक ] जी० ११६४,७४,७७,८७,८८, खेतच्छेद [क्षेत्रछेद ] जी० ३१४६,४७ खेत्तच्छेय [क्षेत्रछेद जी० ३।२१ से २७,४५ गइरइय | गति रतिक ओ० ५० खेत्ताभिग्गहचरय क्षेत्राभिग्रहबरक] ओ० ३४ गंगा [गङ्गा] ओ० ११५,११७. रा० २४५,२७६. खेम [क्षेम ओ०१,१४. ० ६७१ जी० ३१४०७,४४५,६३७ खेमंकर [क्षेमकर] ओ० १४. १० ६७१ गंगाकूला [गङ्गाकूल क] ओ० ६४ खेमंधर [क्षेमधरj ओ०१४. रा० ६७१ गंगामट्टिया (गङ्गामृत्तिका] ओ० ११०,१३३ खेय [खेद] ओ० ६३ गंगावत्तग [गङ्गावर्तक] ओ० १९ खेलूड (दे०] जो० ११७३ गंगावत्तय [गङ्गावर्तक] जी० ३१५६६,५६७ खेलोसहिपत्त (वेलौषधिप्राप्त ओ० २४ गठि [ ग्रन्थि ] ओ० १. रा० २७०. जी० ३।४३५, खोखुन्भमाण | चोक्षुभ्यमान] ओ० ४६ ८७८,६६३,६६७ खोत [क्षोद | जी० ३१६६२ गंड | गण्ड] ओ० ४७,६४,७२ खोतरस [क्षोपरस जी० ३१६६४ गंडमाणिया | गण्डमानिका] रा०७७२ खोतोद क्षोदोद | जी०३१६६१ गंडलेहा [गण्डलेखा] ओ० १५. रा० ६७२. जी० खोतोदग [क्षोदोदक] जी० ३६९४८ ३१५६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003569
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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