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________________ ५७८ इन्भपुत्त-उक्कोस इन्भपुत्त [इभ्यपुत्र] रा०६८८,६८६,६६५ इम (इदम् ] ओ० ७. जी० १३१० इयाणि इदानीम् ] ओ० ११७. रा० ७५३ इरियासमिय | ईर्याः मित ] ओ० २७,१५२,१६४ इव इव | ओ० २३. रा० ७०. जी० ३१४४८ इसिपरिसा ऋषिपरिपद् | ओ० ७१. रा० ६१, ७६७ इसिवादिय ऋषिवादिक] ओ० ४६ इह (इह ! ओ० २१. रा०६८७. जी० १११ इह [इह | ओ० २१. रा० ६८७. जी०३।११६ इहगत | इहगत ] रा०८ इहगय [इहगत ] ओ० २१. रा० ७१४ इहभव इहव] यो० ५२. रा०६२७ इहलोग [ इहलोक ] ओ० २६ ईहा [ईहा] ओ० ११६,१५६. रा० ७४० ईहामइ ईहामति) रा० ५७५ ईहामिअउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिन्नररहसरभचमरकंजरवणलयपउमलयभत्तिचित [ईहामृगवृषभतु र गरमकर विहग-यालकफिन्तररुरुसरभचमरकुञ्जरवनलतापलता भक्तिचित्र] रा० ८३ ईहामिय [ईहामृग] ओ० १३. रा० १७,१८,२०, ३२.३७,१२६. जी० ३१२८८,३००,३११,३७२ जा उ उ [तु] जी०२।१५१ उंबर [उदुम्बर] जो० ११७२ उंबरयुएफ | उदुम्बरपुष्प ] रा० ७५० से ७५३ उक्कंचण [दे०] रा० ६७१ उपकंधणया [दे० ] ओ०७३ उक्कलियावाय [उत्कलिकावात ] जी० ११८१ उक्कस [उत्कर्ष ] जी० श२८ उक्का | उल्का ] रा० ७०,१३३. जी. ११७८ ईयाल [एकचत्वारिंशत् ] जी० ३।७३६ ईरियासमिय [ ईसिमित ] रा० ८१३ ईसत्य [इष्वस्त्र] ओ० १४६. रा० ८०६ । ईसर ईश्वर ओ० १८,२२,६३,६८, रा० २८२, ६८७,६८८,७०४,७५४,७५६,७६२,७६४. जी०३३५०, ४४८,५६३,६०६,६३७,७२३ ईसा [ईषा] जी० ३।२५४ ईसाण ईशान] ओ० ५१,१६०, १९२. जी. १९५६; २.१६,४७,६६,१४८,१४६; ३१६१६,६२१,१०३८,१०४३,१०४४,१०५७, १०६५,१०६७,१०७१,१०७३,१०७५,१०७७ से १०८३,१०८५,१०८७,१०६०,१०६१, १०६३, १०६७ से १०६६.११०१,११०५, ११०७,११०६ से १११२,१११४,१११५, १११७,१११६,११२१,११२२,११२४,११२८ ईसाणग। ईशानक] जी० ३११०४३ ईसि ईषत् ] ओ १३. रा० ४. जी० ३.२६५ ईसिणिया [ ईशानिका] ओ० ७०. रा० ८०४ ईसी [ईषत् ] ओ० ४७ ईसीपभारा [ईषत्प्रारभारा] मो० १६१ से १६५ उक्कापात [उल्कापात ] जी० ३६६२६ उक्कामुह [उल्कामुख ] जी०३१२१६,२२६ उक्किट्ठ [उत्कृष्ट ] ओ० ५२. रा० १०,१२,५६, २७६,६८७,६८८. जी० ३१८६,१७६,१७८, १८०,१८७,४४५,८४२,८४५ उक्किट्टि [उत्कृष्टि] जी० ६।४४७ उक्किट्ठिया [उस्कृष्टिका] रा० २८१ उक्किरिज्जमाण [उत्कीर्यमाण] रा० ३० जी० ३।२८३ उक्कुडुयासणिय [उत्कुटुकासनिक] ओ ३६ उक्कोडिय [औत्कोटिक] ओ० १ उक्कोस [ उत्कर्ष ] ओ० ६४,६५,११४,१५५,१५७, १५६,१६०,१६२,१६७,१८७,१८८,१६५।५. जी० १११६,५२.५६,६५,७४,७६,८२,८६ से ८८,६०,६४,९६,१०१,१०३, १११,११२,११६. ११६,१२१,१२३ से १२५,१३०,१३३,१३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003569
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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