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मतुड
गाइ
मउ.
शब्दान्तर और रूपांतर ध्याकरण और आर्ष-प्रयोग-सिद्ध शब्दान्तर एवं रूपान्तर भाषा शास्त्रीय अध्ययन की दष्टि से महत्वपूर्ण हैं; इसलिए उन्हें पाठान्तर से पृथक् रखा है। सूत्र संख्या ८
मउड धेयं
°धेज्ज णादि
(क,ख,ग,च) उकिट्ठाए
ओकिट्ठाए
(छ) पढ़े
वळे (ख,ग); मट्ठ (च) णाइय
जातिय (क,ख,ग,घ,च,छ) हंत
(च) अभिवंदए
अभिवंदते आयंस'
आतंस
(घ,च) मिउ
(क,ख,ग) पासाईए
पासातीए (क,ख,ग,घ) अतीव
अतीत तिसोवाण
तिसोमाण° (क,ख,ग,च) महालतेणं
महालएणं (ख,ग,घ) वेमाणिएहि
वेमाणितेहिं (क,ख,ग,घ) विरचिय
विरतिय (क,ख,ग,च) वायाणं
वाइयाण (क,ख,ग,छ) वाययाणं
(घ) ओणमति
तोनमंति
(क,घ) मर
मिर
(क्वचित्) 'टाणं
'ताणं
(क,च,छ) ११८ मत्थए
मत्थते
(क,ख,ग,घ) जएणं विजएणं
जतेणं विजतेणं (क,ख,ग,घ) बहुईओ
बहुगीओ (क,ख,ग,घ) बहुगीतो
(च,छ) " १२६ दार'
वार (क,ख,ग,च,छ;) बार
(घ) 'कवेल्लुयाओ
'कवेलुयातो (क,ख,ग,घ) १३५ संकलाबो
संखलाओ (क्वचित्) पगंठगा
पकंठगा (घ,च) साए पहाए पएसे
साते पहाते पतेसे (क,ख,ग,घ,
७५
७६
७७
१३७
च,छ)
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