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________________ कंदप्प-कडुच्छ्य कंदप्प [कन्दर्भ ] ओ० ४६ ३।११८,११६,२८६,९६५ कंचप्पिय [कान्दपिक] ओ० ६४,६५ कच्छभी [कच्छपी रा०७७. जी. ३.५८८ कंदमंत [कन्दवत् ] ओ०५,८,१०. जी. ३१२७४, कच्छ [कच्छू] जी० ३।६२८ ३८६,५८१ किज्ज [क]--कज्जति. ओ० १६१ कंदरा [ कन्दरा रा०८०४ कज्ज [कार्य ] रा० ६७५. जी० ३१२३६,१११५ कंदाहार [ कन्दाहार] ओ ०६४ । कज्जल किज्जल | ओ० १६. रा०२५. कविय [क्रन्दित ओ० ४६,४६ जी० ३।२७८,५६५,५९६ कंधुसोल्लिय [ कन्दुपक्व] ओ०६४ कज्जलंगी किज्जलाङ्गी| ओ०१३ कपिय [कम्पित ] ० १७३. जी० ३१२८५ कज्जलप्पभा कज्जलप्रभा] जी० ३१६८७ कपिल्लपुर | काम्पित्यपुर] ओ० ११५,११८ कज्जोउ कार्यहेतु ओ० ४० कंपेमाण [कम्पमान ] ओ० ५२ कटु [कृत्वा ] ओ० २०. रा० ८. जी० ३८६ कंबल [कम्बल ] ओ० १२०,१६२. रा० २७, कट्ट [काष्ठ] रा० ६,१२,७६५ ६९८,७५२,७५२,७८६. जी० ३।२८.५६५ कट्ठसेज्जा [काष्ठशय्या] ओ० १५४,१६५,१६६ कंबिया [कम्बिका रा० २७०. जी० ३१४३५ कट्टसोल्लिय [काष्टपक्व ] ओ०६४ कं [कम्बु] ओ० १६. जी० ३३५६६,५६७ कड [कृत] ओ०७४१६ रा० १८५,१८७,८१५ जी० ३१२१७,२६७,२६८,३५८ कंबोय [कम्बोज] रा० ७२०,७२३ कंस कांस्य] जी० ३।६०८ कडंब [कडम्ब] रा० ७७ कंसताल [कांस्यताल] रा० ७७. जी० ३१५८८ कडक्ल [कटाक्ष रा० १३३. जी० ३।३०३ कडग [कटक] ओ २१,४७,५४,६३,७२. रा०८, कंसपाई [कांस्यपात्री] ओ० २७ रा० ८१३ ६६,७०,२८५,७१४. जी० ३१४५१,५६३ कंसलोह पाय] | कांस्यलोहपात्र] ओ० १०५, १२८ कडगच्छेज्ज [कटकच्छेद्य ] ओ० १४६. रा० ८०६ कंसलोह [ बंधण] [कांस्यलोहबन्धन] ओ० १०६, कडच्छाय किटच्छाय] ओ०४, रा० १७०,७०३. १२६ जी० ३।२७३ कडच्छुय [दे०] रा० ७५३ कारखकारगकारघकारङ्कारपविभत्ति [ककारख कडय [कटक ] ओ० १०८,१३१. रा० ८. कारगकारघकारङकारप्रविभक्ति] रा० ६५ जी० ३।४५७ ककारपविभत्ति [ककारप्रविभक्ति] रा० ६५ कडाह [कटाह] जी० ३१७८ कक्करी [कर्करी] जी० ३१५८७ कडि [कटि] ओ० १६,६४. जी० ३१५६६ कक्कस [कर्कश] रा० ७६५. जी० ३.११० कडिय कटित ओ०४. रा० १७०,७०३. कक्कोड [कर्कोट ] जी० ३१७५० जी० ३।२७३ कक्कोडग कर्कोटक ] ३१७५० कडिसुत्त [कटिसूत्र] ओ० ५२,६३ १०८,१३१. कक्कोडय [कर्कोटक] जी० ३१७४८ से ७५० रा० ६८७,६८६ कक्ख [कक्ष] ओ० ६२ जी० ३१५६७ कठिसुत्ताग [ कटिसूत्रक] रा० २८५ कक्खर [कक्खट] जी० ११५.३६,४०,५०, ३३२२ फडिसुत्तय [कटिसूत्रक] रा०६८८ कच्छ [* क्ष] ओ० ५७. जी० ३ ६३७ कडच्छुग दे०] जी० ३६०८ कच्छभ [कच्छप ] रा० १७४. जी० १६६,११८; कडच्छ्य [दे०] रा० २५८,२७६,२८१,२६०, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003568
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size8 MB
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