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________________ ५५४ अणाणुपुख्ती (अनानुपूर्वी | जी० ११४८ अणादिय [अनादिक | जी० ६।२५,१३३ अणावीय [अनादिक] जी० ६।२३,३१,३४,६४, ७२,८१,११०,१७४,२०२,२०६ अणारंभ अनारम्भ | ओ० १६३ अणारिय [अनार्य | ओ० ७१. जी० ३१६२८ अणालोइय अनालोचित | ओ०६५.११५,१५६ अणाहारग ! अनाहारक] जी० ६।३८,५१ से ५५ अणाहारय [अनाहाक] जी० ६।४२ से ४८ अणिव अनिन्द्र | जी० ३१११२० अणिविय [अनिन्द्रिय | जी० ६।१५ से १७,१६७, १६६,२५६,२६१,२६५,२६६ अणिक्खित अनिक्षिप्त ] ओ० ११६ अणिगण अनग्न | जी० ३१५६५ अणिच्च | अनित्य ] ओ०७४ अणिच्चाणुहा [अनित्यानुप्रेक्षा | ओ० ४३ अणिज्जिण्ण [अनिर्जीर्ण] रा० ७५१ अणि? [अनिष्ट ] रा० ७६७. जी० ११६५; ३६२,६७,१२२,१२३,१२८,१२६ अणिद्वतरक [अनिष्टतरक | जी० ३१८४,८५ अगिढतरय (अनिष्टत रक जी० ३१११८,११६ अणिठ्ठर अनिष्ठुर ओ० ४० अणिहय | अनिष्ठीवक | ओ० ३६ अणित्यंत्य {अनित्यंस्थ] ओ० १६१८, जी० १४६७,७४ अणिय [अनीक] रा० ७,४७,५६,५८,२८०. जी० ३।३५०,४४६,५५७,५६३ अणियट्टि [अनिवृत्ति ] ओ० ४३ अणियाण अनिदान] ओ० २५,१६४ अणियाहिवइ [अनीकाधिपति ] रा० ७,५६,५८, २८०. जी० ३२३५०,४४६,५५७,५६३ अणियाहिवति [अनीकाधिपति] ० ४३. जी० ३१३४४,५६१ अणिल [अनिल ] ओ० २७. १० ८१३ अमिसिट अनिसृष्ट | ओ०१३४ अणाणुपुवी-अणुत्तरोववात्तिय अणिहुतिदिय [अनिभृतेन्द्रिय ] ओ० ४६ अणीय [अनीक] ० ५६ अणीयाहिवइ [अनीकाधिपति] रा० ५३ अणु (अणु जी० ११४४ ; ३१६६८,६EE अणुगंतव्य | अनुगन्तव्य ] जी० ३।५,१२,३५५, ७७५ अणुगच्छ [अनु + गम् | अणुगच्छइ ओ० २१, रा० ६--अणुगछति जी० ३।४५५ अणुगच्छित्ता [अनुगम्य ओ० २१. रा०८ अणुग्घसित [अनवपित] रा० १४६ अणुचर [अनु + चर]-.--अनुचरंति जी० ३१८३८.११ अणुचरंत अनुवरत् ] जी० ३१८३८.१० अणुचरिय [अनुचरित] ओ०१ अणुचिण्ण [अनुचीर्ण] जी० १३१ अणुजाण [अनु+ज्ञा]--अणुजाणउ रा० ६८. - अणु नाणति रा० ७१३.- अशुजाणेज्जाह रा० ७०६ अणुताव [अनुताप | जी० ३३१२८ अणुत्त अणुत्व] जी. ३१६६E अणुत्तर (अनुत्तर | ओ०७२,७६ से ८१,१५३ १६५,१६६. रा० ८१४. जी० ३.१२,७७, ११७,१०३८,१०५६,१०८४,१०८६,१०६२, ११०४,११०६ से ११११,१११३,१११८, ११२०,११२३,११२५ अणुत्तरविमाण [अगुत्तरविमान} ओ० १६०. जी० ३३१०६६,१०७०,१०७२,१०७४,१०७७ से १०८२,१०८६,११३० अणुत्तरोववाइय [अनुत्तरोपपातिक] जी० १११२३; ___३।१०६४,१०६७ अणुत्तरोवाइयवसाधर अनुत्तरोपपातिकदशाधर] ओ० ४५ अणत्तरोववातिय | अनुत्त रोपपातिक] जी० २।६३, ६६,१४८,१४६, ३३१०७६,१०६०,१०६६, १०६८,१०६६,११०६.११०८,१११४,१११६, १११८,११२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003568
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Ovaiyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages412
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size8 MB
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