________________
पण्हावागरणांई पढम अज्झयणं सू० १-४०
पृ० ६३५-६५० उक्खेव-पदं १, पाणवहस्स सरूव-पदं २, पाणवहस्स तीसनाम-पदं ३, पाणवहस्स पगार-पदं ४. पाणबहस्स कारण-पदं ११, पाणवहस्स कत्तार-पदं २०, पाणवहस्स फलविवाग-पदं २३. निगमण-पदं ४०।
बीयं अज्झयणं
सू०१-१६
पृ० ६५१-६५६ उस्खेव-पदं१. अलियवयणस्स तीसनाम-पद २, अलियवयणस्स पगार-पदं ३. अलिय. वयणस्स फलविवाग-पदं १५, निगमण-पदं १९।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org