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________________ ६२६ अगुत्तरोववाइयदसाओ से जहानामए चित्तकट्टरे इ वा वीयणपत्ते इ वा तालियंटपत्ते इ वा, एवामेव' 'धण्णस्स अणगारस्स उर-कडए सुक्के लुक्खे निम्मसे अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो व णं मस-सोणियत्ताए । ४१. धण्णस्स णं अणगारस्स बाहाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था--से जहानामए समिसंगलिया इ वा वाहायासंगलिया इ वा 'अगत्थियसंगलिया इ वा," एकामेव 'धण्णस्स अणगारस्स वाहाम्रो सुक्कामो लुक्खायो निम्मंसानो अद्वि-चम्म-छिरत्ताए पग्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ४२. धण्णस्स णं अणगारस्स हत्थाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था - से जहानामए सुक्कछगणिया इ वा वडपत्ते इ वा पलासपत्ते इ वा, एवामेव •धण्णस्स अणगारस्स हत्था सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छि रत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए०॥ ४३. धण्णस्स णं गुणगारस्स हत्थंगुलियाणं अयमेयारूबे तव-रूव लावणे होत्था से जहानामाए कलसंगलिया इ वा मुम्गसंगलिया इ वा माससंगलिया इ वा तरुणिया छिण्णा प्रायने दिण्णा सुक्का समाणी 'मिलायमाणी चिटुंति'", एवामेव •धण्णस्स अणगारस्स हत्थंगुलियानो सुक्कानो लुक्खाओ निम्मंसायो अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ४४. धण्णस्स णं ग्रणगारम्स गीवा।। अयमेयारूवे तव-रूव-लावणे होत्था --से जहानामए करगगोवा इ वा कुंडियागीवाइ वा उच्चत्थवणए" इवा, एवामेव 'धण्णस्स अणगारस्स गीवा सुक्का लुक्खा निम्मसा अद्वि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ४५. धण्णस्स णं अणगारस्स हणुयाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावणे होत्था-से जहानामए लाउफले इ वा हकुवफले" इ वा अंबगट्ठिया" इ वा प्रायवे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठइ, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स हणुया --- -- -- १. चित्तपट्टरे (क); वित्तयकट्टरे (ख); ८. सं० पा०-वामेव ° | चित्तयकदूरे (ग)। ____६. x (क, ख, ग); मिलायंति (घ)। २. वीइण° (ग); वीयणय ° (घ) वियण° १०. सं० पा०---एवामेव ° । (वृ)। ११. उच्चट्ठवणए (क); काछवणए (ख)। ३. सं० पा०—एवामेव । १२. सं० पा०--एवामेव । ४. x (ख); पहाया ° (ग)। १३. हेकुव० हंकुव० हेकुच° हकुन० (क्व)। ५. x (क)। १४. अंबगंठिया (क, घ)! ६. सं० पा०-एवामेव । १५. सं. पा.----ग्रंबगट्ठिया इ वा ° एवामेव । ५. सुक्कछगलिया(क); सुक्खच्छगणिया (ख,ग) । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003565
Book TitleAgam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Anuttaraovavai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages118
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size2 MB
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