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धण्णस्स तवजणिय- सरीरलावण्ण-पदं
३१. धण्णस्स णं अणगारस्स पायाणं अपनेयास्त्रे तव रूव-लावणे होत्या -- से जहानामए सुक्कछल्ली इ वा कट्टपाउया इ वा जरग्गश्रोवाहणा इ वा एवामेव धण्णस्स अणगारस्स पाया सुक्का लुक्खा' निम्मंसा अट्ठि चम्म छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेवणं मंस - सोणियत्ताए ||
३२. धण्णस्स णं अणगारस्स पायंगुलियाणं प्रयमेयारूवे तव रूत्र- लावण्णे होत्था - से जहानामए कलसंगलिया इ वा मुग्गसंगलिया इवा माससंगलिया इ वा तरुणिया छिण्णा उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठति, एवामेव धण्णस्स गारस्स पायंगुलियाग्रो' सुक्काथो' 'लुक्खाग्री निम्मंसाग्रो ग्रद्वि-चम्म छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव गं मंस सोणियत्ताए ||
३३. धण्णस्स णं अणगारस्स जंघाणं श्रयमेयारूये तव रूव-लावणे होत्था-से जहानामए काकजंघा इ वा ढेणियालियाजंघा इ वा एवामेव धण्णस्स अणगारस्स जंघाओ सुक्कायो लुक्खाग्रो निम्मंसा अट्टि चम्म छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंस सोणियत्ताए ||
अणुत्तरोववाइयदसाओ
३४. धण्णस्स अणगारस्स जाणूर्ण अयमेयारूवे तव रूव लावण्णे होत्था से जहानामए कालिपोरे इ वा मऊरपोरे इ वा ढेणियालियापोरे इ वा, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स जाणू सुक्का लुक्खा निम्मंसा ग्रद्वि-चम्म- छिरत्ताए पण्णायंति नो चेत्र णं मंस सोणियत्ताए ॥
३५. धण्णस्स णं अणगारस्स ऊरूणं श्रयमेयारूवे तव रूव लावण्णे होत्था से जहानामए 'सामकरिल्ले इ वा" बोरीकरिल्ले' इ वा सल्लइकरिल्ले" इ' वा 'सामकिरिल्ले इ वा " तरुणए" छिष्णे उन्हें दिष्णे सुक्के समाणे मिलायमाणे '
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१. इदं पदं प्रयुक्तादशेषु नोपलभ्यते; ३७ वृत्तौ 'उदरवर्णने' एवामेव उदरं सुक्कं लुक्वं निम्मंसं इत्यादि पूर्ववत्' इत्युल्लेखेन तथा ५१ सूत्रे शीर्षस्थ वर्णने सर्वसु आदर्शषु वृत्तौ च तथा दर्शनेव अस्माभिः सर्वत्र स्वीकृतमिदम् ।
२. विलायमाणी ( क ) 1
३. पायंगुलीओ ( ख, ग )
४. सं० पा० – सुक्काओ जाव सोणियत्ताए । ५. स० पा० - इ वा जाव नो सोणियत्ताए । ६. कालपोरे (क, घ) 1
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७. सं० पा० एव जाव सोणियत्ताए । 5. X (3) 1
2. परिकरिले ( क ) ।
सेल्लति ० ( ख ) ।
१०.
११
वृत्तिकारेणात्र पाठान्तरनिर्देशः कृतः - पाठान्तरेण सामकरिल्ले इवा (वृ) | आदर्शेषु असो पाठ: ' से जहानामए' अस्यानन्तरमेव वर्तते ।
१२. तरुणाए ( क ); तरुणे ( ग ) ; तरुणिए ( क्व ) 1 १३. सं० पा० - उन्हे जाव चिट्ठइ ।
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