________________
एक्कारसमं अझयणं (दावद्दवे)
२२५
उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराम्रो प्रणगारियं पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाण य सम्मं सहइ ' • खमइ तितिक्खइ अहियासेइ, बहूणं अण्णउत्थियाणं बहूणं गिहत्थाणं नो सम्मं सहइ जाव नो श्रहियासेइ - एस गं मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते ||
o
साराह पर्व
४. समाउसो ! जया णं सामुद्दगा' ईसि पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति, तया णं बहने दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा' 'परिसडिय पंडुपत्तपुप्फ-फला सुक्रुक्खो विव मिलायमाणा - मिलायमाणा चिट्ठति । अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुष्फिया फलिया हरियग- रेरिज्जमाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणा - उवसोभेमाणा चिट्ठति ॥
0
एवामेव समणाउसो ! जो ग्रम्हं निम्गंथो वा निम्गंथी वा आयरियउवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइए समाणे बहू उत्थिया बहूणं हित्थाणं सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ महियासेइ, वहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाण य नो सम्म सहइ जाव नो ग्रहियासेइ -- एस णं मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते ॥
सन्वविराहय-पदं
६.
समणाउसो ! जया णं नो दोविच्चगा नो सामुदगा ईसि पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति, तथा णं सव्वे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा परिसडिय पंडुपत्त- पुप्फ-फला सुक्क रुक्खग्रो विव मिलायमाणा - मिलायमाणा चिट्ठति । अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुष्फिया फलिया हरियग-रेरिज्जमाणा सिए व उसोभेमाणा - उवसोभेमाणा चिट्ठति ॥
५.
७.
एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा ग्रायरिय उवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइए समाणे बहूणं समणाणं बहूणं समणी बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं बहूणं अण्णउत्थियाणं वहूणं गिहत्थाणं नो सम्म सहइ जाव' नो ग्रहियासेइ - एस णं मए पुरिसे सव्वविराहए पण्णत्ते ||
सव्वा राहय-पदं
८.
Jain Education International
समणाउसो ! जया णं दीविच्चगा वि सामुद्दगा वि ईसि पुरेवाया पच्छावाया
१. सं० पा० - सहइ जाव अहियासेइ । २. समुहगा ( ख ) ।
३. सं० पा० - झोड़ा जाव मिलायमाणा ।
४. सं० पा० - फलिया जाव उवसोभेमाणा । ५. सं० पा० - निग्गंथी वा जाव पव्वइए । ६. ना० १।११।३ ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org