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पंचम अज्झयणं (सेलगे)
१३३ सेलगस्स पव्यज्जा-पदं ६६. "तए णं से सेलगे [पंचहि मंतिसएहि सद्धि' ?] सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ,
करेत्ता जेणामेव सुए तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुयं अणगारं तिक्खुत्तो
आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ जाव' पव्वइए। सेलगस्स अणगारचरिया-पदं १००. तए णं से सेलए अणगारे जाए जाव' कम्मनिग्धायणट्ठाए एवं च णं विहरइ ।। १०१. तए णं से सेलए सुयस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए ° सामाइयमाइयाई एक्कारस
अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थं-'छट्ठम - दसम - दुवालसेहिं
मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणे° विहरइ । सयस्स परिनिव्वाण-पदं १०२. तए णं से सुए सेलगस्स अणगारस्स ताई पंथगपामोक्खाइं पंच अणगारसयाई
सीसत्ताए वियरइ ॥ १०३. तए णं से सुए अण्णया कयाइ सेलगपुराओ नगरानो सुभूमिभागाओ उज्जा
णाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। १०४. तए णं से सुए अणगारे अण्णया कयाइ' तेणं अणगारसहस्सेणं सद्धि संपरिवडे
पुव्वाणुपुद्धि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव पंडरीयपव्वए' 'तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पुंडरीयं पव्वयं सणियं-सणियं दरुहइ, दुरुहित्ता मेघधणसन्निगासं देवसन्निवायं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता जाव' संलेहणा-झूसणा-झूसिए भत्तपाण-पडियाइविखए पापोव
गमणंणुवन्ने ।। १०५. तए णं से सुए बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए
अत्ताणं झसित्ता, सद्धि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता जाव' केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेत्ता तो पच्छा सिद्धे बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिनिव्वुडे सव्वदुक्खप्प
हीणे ! सेलगस्स रोगातंक-पदं १०६. तए णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य तुच्छेहि य लहेहि
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१. सं० पा०-अवसेस तहेव जाव सामाश्य- ४. ना० ११५१३५-३७ ॥ माइयाई।
५. सं० पा०-च उत्थ जाव विहर। २. प्रव्रज्या प्रसंगे मंत्रिणामुल्लेखोनोपलभ्यते, ६. कयाई (ख)।
सच आवश्यकोस्ति । तेनासो पाठ: प्रकरण- ७. सं. पा.-पव्दए जाब सिद्धे। सादृश्येन थावच्चापुत्रवर्णनगत ३४ सूत्रात् ८. ना० १६११२०६ । पूरितोस्ति ।
है. भग०६।१५१ । ३. ना० ११११४६,१५० ।
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