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________________ समवाओ वासकोडि सामग्णपरियागं पाउणित्ता सहस्सारे कप्पे सव्वठे विमाणे देवत्ताए उववणे ॥ ८७. उसभसिरिस्त भगवओ चरिमस्स य महावीरवद्धमाणस्स एगा सागरोवम कोडाकोडी अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ।। दुवालसंग-पदं ५८. दुवालसंगे गणिपिडगे पण्णते, तं जहा --आयारे सूयगडे ठाणे समवाए विआहपण्णतो णाया-धम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववा___ इयदसाओ पण्हावागरणाई विवागसुए दिट्ठिवाए । से कि तं आयारे? आयारे ण समणाणं निग्गंथाणं आयार-गोयर-विणय-वेणइय-द्वाण-गमण'चंकमण-पमाण - जोगजुजण-भासा-समिति-गुत्ती-सेज्जोवहि- भत्तपाण - उग्गमउप्पायणएसणाविसोहि - सुद्धासुद्धग्गहण - वय - णियम-तवोवहाण-सुप्पसत्थमाहिज्जइ ! से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-णाणायारे सणायारे चरित्तायारे तवायारे बीरियायारे ।। आयारस्स ण परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखेज्जाओ पडिवत्तीओ संखेज्जा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ। से णं अंगट्टयाए पढमे अंगे दो सुयक्खंधा पणवीसं अज्झयणा पंचासीई उद्देसणकाला पंचासोइं समुद्देसणकाला अट्ठारस पयसहस्साई पदग्गेणं', संखेज्जा अक्खरा अणंता गमा अणता पज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिवद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आपविजंति पण्णविनंति परूविज्जति दंसिज्जति निदसिज्जंति उवदंसिज्जति । से एवं आया एवं णाया एवं विण्णाया एवं चरण-करण-परूवणया आघविज्जति पणविज्जति परूविज्जति दसिज्जति निदंसिज्जति उवदसिज्जति । सेत्तं आयारे।। से कि तं सूयगडे ? सूयगडे ण ससमया सूइज्जति परसमया सूइज्जति ससमयपरसमया सूइज्जति जीवा सूइज्जति अजीवा सूइज्जति जीवाजोवा सूइज्जंति 'लोगे सूइज्जति अलोगे सूइज्जति लोगालोगे सूइज्जति । सूयगडे णं जीवाजीव-पुण्णा-पावासव-संवर-निज्जर-बंध-मोक्खावसाणा पयत्या सूइज्जंति, समणाणं अचिरकालपब्वइयाणं कुसमय-मोह-मोह-मइमोहियाणं संदेहजाय सहज बुद्धि-परिणाम-संसइयाणं पावकर-मइलमइ-गुण-विसोहणत्थं १. पयग्गेणं प० (ग) प्रायः सर्वत्र । २. आवा (क); आए (ग); इदं च सूत्रं पुस्त- केषु न दृष्ट, नन्द्यां तु दृश्यते इतीह व्याख्यात मिति (वृ)। ३. लोगो० अलोगो० लोगालोगो० (ग)। इदं च सूत्रं पुस्त- ३. लागि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003560
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages267
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size5 MB
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