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________________ ८८४ समवाओ ७. एवं कत्तियाएवि पुण्णिमाए । ८. महासुक्के कप्पे चत्तालीसं विमाणावाससहस्सा पण्णत्ता॥ एक्कचत्तालीसइमो समवाओ १. नमिस्स णं अरहओ एक्कचत्तालीसं अज्जियासाहस्सोओ होत्था ।। २. चउसु पुढवीसु एक्कचत्तालोस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, तं जहा रयणप्पभाए पंकप्पभाए तमाए तमतमाए।। ३. महालियाए णं विमाणपविभत्तीए पढमे वग्गे एक्कचत्तालीसं उद्देसणकाला पपणत्ता ॥ बायालीसइमो समवाओ १. समणे भगवं महावीरे बायालीस वासाई साहियाई सामण्णपरियागं पाउणित्त सिद्धे' 'बुद्धे मुत्ते अंतगडे परिणिव्वुडे ° सव्वदुक्खप्पहीणे॥ २. जवुद्दोवस्स णं दोवस्स पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ मोथूभस्स णं आवासपव्व यस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते, एस णं बायालीसं जोयणसहस्साई अबाहाते अंतरे' पण्णते॥ ३. एवं चउद्दिसि पि दोभासे संखे दयसीमे य ।। ४. कालोए ण समुद्दे बायालोसं चंदा जोइंसु वा जोइंति वा जोइस्संति वा, बाया लीसं सूरिया पभासिंसु वा पभासिति वा पभासिस्संति वा ।। ५. संमच्छिमयपरिसप्पाणं उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साई ठिई पण्णत्ता ।। ६. नामे णं कम्मे बायालीसविहे पण्णत्ते, तं जहा—गइनामे जातिनामे सरीरनामे सरीरंगोवंगनामे सरीरबंधणनामे सरीरसंघायणनामे संघयणनामे संठाणनामे वण्णनामे गंधनामे रसत्तामे फासनामे अगरुयलहुयनामे उवधायनामे पराघायनामे आणपुचीनामे उस्सासनामे आतवनामे उज्जोयनामे विहगगइनामे तसनामे थावरनामे सुहमनामे बायरनामे पज्जत्तनामे अपज्जत्तनामे साधारणसरीरनामे पत्तेयसरीरनामे थिरनामे अथिरनामे सुभनामे असुभनामे सुभगनामे दूभगनामे सस्सरनामे दुस्सरनाम आएज्जनाम अणाएज्जनामे जसोकोत्तनामे अजसोकित्ति नामे निम्माणनामे तित्थकरनामे ।। ७. लवणे णं समुद्दे बायालीसं नागसाहस्सीओ अभितरियं वेलं धारेति ॥ १. सं० पा०-सिद्धे जाव सव्वदुक्ख ° । २. आबाहते (ख); आबाहाते (ग), आवाधाते आबाहाए-अग्रे पि प्राय एवमेव लभ्यते । ३. अंतकरे (क)। ४. ४(क) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003560
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages267
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size5 MB
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