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________________ ठाणं अ राहाणीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - विजया, वेजयंती', 'जयंती, अपराजिया, चक्कपुरा, खरगपुरा, अवज्झा, अउज्झा ॥ ७७. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानदीए उत्तरे णं उक्को पर अटू अरहंता, अट्ठ चक्कवट्टी, अट्ठ बलदेवा, अट्ठ वासुदेवा उपज्जिसु वा उप्पज्जेति वा उपज्जिस्संति वा ॥ ७७० ७८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए [ महाणदीए ? ] दाहिणे णं उक्कोसपए एवं चेव ॥ ७६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थि मे णं सोओयाए महाणदीए दाहिणे णं उक्को सपए एवं चैव ॥ ८०. एवं उत्तरेणवि ॥ ८१. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थि मे णं सीताए महाणईए उत्तरे णं अट्ठ वेडा, अतिमिसगुहाओ, अट्ठ खंडगप्पवातगुहाओ, अट्ठ कयमालगा देवा, अट्ठ णट्टमालगा देवा, अट्ठ गंगाकुंडा, अटू सिंधुकुंडा, अट्ठ गंगाओ, अट्ठ सिंधूओ, अट्ठ उसभकूडा पव्वता, अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता ॥ ८२. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानदीए दाहिणे णं अटू दीवेअड्डा एवं चेव जाव' अट्ट उसभकूडा देवा पण्णत्ता, गवरमेत्थ रत्त-रत्तावती, तासि चेव कुंडा ॥ ८३. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोयाए महाणदीए दाहिणे णं णट्टमालगा देवा, अट्ठ गंगाकुंडा, अट्ठ सिंधुकुंडा, अट्ठ उसभकूडा पव्वता, अट्ठ उसभकूडा देवा अट्ट दीवेयड्ढा जाव' अट्ठ अट्ठ गंगाओ, अट्ठ सिंधू, पण्णत्ता ॥ ८४. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओयाए महानदीए उत्तरे णं अट्ठ दीवेयड्डा जाव अट्ठ णट्टमालगा देवा पण्णत्ता' । अट्ठ रत्ताकुंडा, अट्ठ रतावतिकुंडा, अट्ठ रत्ताओ', 'अट्ठ रत्तावतीओ, अट्ठ उसभकूडा पव्वत्ता, अट्ठ उसभकडा देवा पण्णत्ता ॥ ८५. मंदरचूलिया णं बहुमज्झदेस भाए" अट्ठ जोइणाई विक्खंभेणं पण्णत्ता ॥ धायइसंड-पदं ८६. धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं धायइरुक्खे अट्ठ जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं, बहुमज्झसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खभेणं, साइरेगाई अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पण्णत्ते ॥ १. सं० पा०-- वेजयंती जाव अउज्झा | २. ठा० ८८१ । ३,४. ठा० ६८१ । Jain Education International ५. पण्णत्ता नवरमेत्थ (क, ग) 1 ६. सं० पा० - रत्ताओ जाव अट्ठ उसभकूडा । ७. ० भाते (क, ग ) + For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003559
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages472
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size8 MB
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