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चउत्थं ठाणं (पढमो उद्देसो)
६०७ अब्भुट्ठावेति णाममेगे णो अब्भुट्टेति, एगे अब्भुटेति वि अन्भुट्ठावेति वि, एगे णो
अब्भुट्टेति णो अन्भट्टावेति ॥ ११२. "चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा--वंदति णाममेगे णो वंदावेति, वंदावेति
णाममेगे णो वंदति, एगे वंदति वि वंदावेति वि, एगे णो वंदति णो वंदावेति ।। ११३. "चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--सक्कारेइ णाममेगे णो सकारावेइ,
सक्कारावेइ णाममेगे णो सक्कारेइ, एमे सक्कारेइ वि सक्कारावेइ वि, एगे णो
सक्कारेइ णो सकारावेइ ।। ११४. चत्तारि पूरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--सम्माणति णाममेगे णो सम्माणावेति,
सम्माणावेति णाममेगे णो सम्माणेति, एगे सम्माणेति वि सम्माणावेति वि,
एगे णो सम्माणेति णो सम्माणावेति ।। ११५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा--पूएइ णाममेगे णो पूयावेति, पूयावेति
णाममेगे णो पूएइ, एगे पूएइ वि पूयावेति वि, एगे णो पूएइ णो पूयावेति ।। सज्झाय-पदं ११६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा--वाएइ णाममेगे णो वायावेइ, वायावेइ
णाममेगे णो वाएइ, एगे वाएइ वि वायावेइ वि, एगे णो वाएइ णो वायावेइ ।। ११७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-पडिच्छति णाममेगे णो पडिच्छावेति,
पडिच्छावेति णाममेगे णो पडिच्छति, हगे पडिच्छति वि पडिच्छावेति वि, एगे
णो पडिच्छति णो पडिच्छावेति ॥ ११८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—पुच्छइ णाममेगे णो पुच्छावेइ
पुच्छावेइ णाममेगे णो पुच्छइ, एगे पुच्छइ वि पुच्छावेइ वि, एगे णो पुच्छइ णो
पुच्छावेइ ।। ११६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—वागरेति णाममेगे णो वागरावेति,
वागरावेति णाममेगे णो वागरेति, एगे वागरेति वि वागरावेति वि, एगे णो
वागरेति णो वागरावेति ° ॥ १२०. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--सुत्तधरे णाममेगे णो अत्थधरे, अत्थधरे
णाममेगे णो सुत्तधरे, एगे सुत्तधरे वि अत्थधरे वि, एगे णो सुत्तधरे णो
अत्थधरे ॥ लोगपाल-पदं १२१. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, तं जहा
सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे ॥
वाएइ पडिच्छति पुच्छइ वागरेति ।
१. सं० पा०--एवं वंदति णाममेगे णो वंदावेइ। २. सं० पा.--एवं सकारेइ सम्माणेति पूएइ
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