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इयं ठाणं (बीओ उद्देसो)
१५६. एवं जहा चमरस्स जाव' अग्गमहिसीणं ॥ १६०. एवं जाव' अच्चुतस्स लोगपालाणं ||
जाम-पदं
१६१. तओ जामा पण्णत्ता, तं जहा -- पढमे जामे, मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे || १६२. तिहि जामेहिं आया केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, तं जहा – पढ जामे, मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ।।
१६३. तिहिं जामेहिं आया केवलं बोधि बुज्भेज्जा, तं जहा - पढमे जामे मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ॥
१६४. तिहि जामेहिं आया केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वज्जा, तं जहा - पढमे जामे, मज्भिमे जामे, पच्छिमे जामे ||
१६५. तिहि जामेहिं आया केवलं वंभचेरवासमावसेज्जा, तं जहा -- पढमे जामे, मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ॥
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१६६. तिहिं जामेहि आया केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा, तं जहा - पढमे जामे, मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ॥
१६७. तिहि जामेहिं आया केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, तं जहा -- पढमे जामे मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ॥
१६८. तिहिं जामेहिं आया केवलमाभिणिबोहियणाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा - पढ जामे, मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ॥
१६६. तिहिं जामेहिं आया केवलं सुयणाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा- पढमे जामे, मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ॥
१७०. तिहिं जामेहिं आया केवलं ओहिणाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा- पढमे जामे, मज्झिमे जागे, पच्छिमे जामे ||
१७१ तिहि जामेहिं आया केवलं मणपज्जवणाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा - पढमे जाने, मज्झिमे जागे, पच्छिमे जामे ॥
१७२. तिहि जामेहिं आया केवल • केवलणाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा - पढमे जामे, मज्झिमे जामे, पच्छिमे जामे ॥
वय-पदं
१७३. तओ वया पण्णत्ता, तं जहा - पढमे वए, मज्झिमे वए, पच्छिमेव ॥ १७४. तिहि वएहि आया केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, तं जहा -- पढमे वए, मज्झिमे वए, पच्छिमे वए ॥
१. ठा० ३।१४४-१४७ ।
२. ठा० २१३५० ३८४ ।
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३. सं० पा० एवं जाव केवलणाणं । ४. वते (क, ख, ग ) ।
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