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________________ पढमो उद्देसो अनटु-पर्व १६. जे भिक्खू अणट्ठाए सूइं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ॥ २०. "जे भिक्खू अट्ठाए पिप्पलगं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ॥ २१. जे भिक्खू अणट्ठाए णखच्छेयणगं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ॥ २२. जे भिक्खू अणट्ठाए कण्णसोहणगं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ॥ अविहि-पदं २३. जे भिक्खु अविहीए सूइं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ॥ २४. "जे भिक्खू अविहीए पिप्पलगं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ॥ २५. जे भिक्खु अविहीए महच्छेयणगं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ।। २६. जे भिक्खू अविहीए कण्णसोहणगं जायति, जायंतं वा सातिज्जति ॥ ° पारिहारिय-पर्व २७. जे भिक्खू पाडिहारियं सूइं जाइत्ता वत्थं सिव्विस्सामित्ति पायं सव्वति, सिन्वंत वा सातिज्जति ॥ २८. जे भिक्खू पाडिहारियं पिप्पलगं जाइत्ता वत्थं छिदिस्सामित्ति पायं छिंदति, छिदतं वा सातज्जति ॥ ६६७ २६. जे भिक्खू पाडिहारियं णहच्छेयणगं जाइत्ता नहं छिदिस्सामित्ति सल्लुद्धरणं करेति, करेंतं वा सातिज्जति ॥ ३०. जे भिक्खू पाडिहारियं कण्णसोहणगं जाइत्ता कण्णमलं णीहरिस्सामित्ति दंतमलं वा णखमलं वा णीहरेति, णीहरेंतं वा सातिज्जति ।। अण्णमण्ण-पदं ३१. जे भिक्खू अप्पणो एक्कस्स अट्ठाए सूई जाइत्ता अण्णमण्णस्स अणुप्पदेति, अणुष्पदेतं वा सातिज्जति ॥ ३२. 'जे भिक्खू अपणो एक्क्स्स अट्ठाए पिप्पलगं जाइत्ता अण्णमण्णस्स अणुष्पदेति अणुपदे तं वा सातिज्जति ॥ १. सं० पा० एवं पिप्पलयं णखच्छेयणयं कण्णसोहणयं । २. सं० पा० एवं पिप्पलयं णहच्छेयणयं कण्णसोहणयं । ३. सर्वास्वपि स्वीकृतप्रतिषु 'जे भिक्खू अप्पणी एक्कस्स अट्ठाए' इति सूत्रचतुष्टयं पूर्वं तथा 'जे भिक्खू पाडिहारियं' इति सूत्रचतुष्टयं Jain Education International पश्चात् वर्तते । अत्र स्वीकृतपाठो भाष्य-चूणमनुसरति । ४. णखं ( अ ) । ५. सूई जायइ ( अ ) । ६. सं० पा० एवं पिप्पलयं णहच्छेयणयं कण्णसोहणयं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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