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________________ १३३ देहावसाणे अण्णस्स उवसंपज्जणाविधि - पदं ११, अहिस्स आयरिय उवज्झायत्त पदं १३, उवट्टावणविधि-पदं १५, उवसंपदा-पदं १८, आणापुव्वं चरिया- पदं १६, सेह - राइणिय-संबंध-पदं २४, राइणियनिस्साए विहरण- पदं २६ । पंचमो उद्देसो सू० २१ ६२६-६३० उउबद्धकाले पवत्तिणी - गणावच्छेइणीणं विहार विधि - पदं १, वासावासे पावत्तिणी - गणावच्छेइणीणं विहारविधि - पदं ५ पवत्तिणी-गणावच्छेइणीणं अण्णमण्णनिस्साए विहारविधि - पदं ६, पवत्तिणीगावच्छेणीणं देहावसाणे अण्णाए उवसंपज्जणाविधि - पदं ११, अरिहाए पवत्तणी -गणावच्छेइत्ति-पदं १३, आयारकप्प - पम्हुईए विधि- पदं १५ । छट्टो उद्देसो सू० ११ ६३१-६३४ यहि गमविहि-पदं १, आयरिय-उवज्झायस्स अइसेस - पदं २, गणावच्छेइयस्स अइसेसपदं ३, अगडसुयाणं एकत्तवासविहि-पदं ४, अप्पसुयस्स एगागिवास निसेध - पदं ६, बहुसुयस्स गागिवासविहाण - पदं ७, हत्थकम्मपडिसेवणा- पायच्छित्त पदं ८ मेहुगपडि सेवणा- पायच्छित्त-पदं ६, अकयपायच्छित्ताए निग्गंथीए उवट्ठावणाइनिसेध-पदं १०, कयपायच्छित्ताए निग्गंथीए उवट्ठावाइविहाण - पदं ११ । सत्तमो उद्देसो सू० २८ ६३५-६३६ अण्णगणागयाए निग्गंथीए पुच्छणाइ - विहि- निसेध-पदं १, विसंभो इयकरण - विहि-निसेध-पदं ४, निग्गंथीपव्वज्जा-विहि- निसेध-पदं ६, निम्गंथपव्वज्जा - विहि- निसेध-पदं 5 विइगिट्टदसाउद्देसणविहि- निसेध-पदं १०, विइगिट्ठकलह उवसमण - विहि- निसेध-पदं १२, सज्झाय - विहि निसेध-पदं १४, उवज्झायादि उदेसण - विहि-पदं २०, निग्गंथस्स मरणोत्तर - विधि-पदं २२, सेज्जातरठवणाविधि- पदं २३, ओग्गह- अणुण्णवणाविधि-पदं २५ । अमो उद्देसो सू० १७ ६४०-६४४ सेज्जासंथा रगगहणविधि - पदं १, थेरसामाचारी पदं ५ पाडिहारिए सेज्जासंथार-पदं ६, ओग्गहअण्णवणा-पदं १०, परिभट्टउवगरणविहि-पदं १३, अइरेगपडिग्गह- पदं १६, आहारपमाणपदं १७ । नवमो उद्देसो सू० ४६ ६४५-६५२ सेज्जातर - पदं १, भिक्खुपडिमा - पदं ३५ मोयपडिमा - पदं ३६, संखादत्तिय पदं ४२, पिंडेसणापदं ४४ । दसमो उद्देसो सू० ४१ ६५३-६६१ जवमज्भ-वइरमज्झपडिमा - पदं १, पंचत्रवहार-पदं ६, अट्ट-माण-पदं ७, धम्मपदं १२, आयरियपदं १५, अंतेवासि - पदं १७, थेरभूमि-पदं १६, सेहभूमि - पदं २०, पव्वज्जा-वय-पदं २१, आगमअज्मयणस्स कालसीमा-पदं २३, दसविहवेयावच्च पदं ४० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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