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________________ साह-सिंगबेरचण्ण ३०१ साह (साध)-साहिज्जइ अ० ५३१ १६०,१९५.१९७ से २०२,२०४,२०५,२०८, ‘साह (कथ्)-साहइ प० १६२ २१०,२११ से २१५,२१८ से २२०. वसाह (साधय्)--साहसि उ० १३१२७ नि० १७।१३२ -साहेइ उ०२६५ साहाभंग (शाखामंग) नि० १७।१३२ साहग (साधक) प० २२२ साहारण (साधारण) दचू० १ सू० १. साहटु (संहृत्य) द० ५।३०. दसा०६।१८. उ० ४।४।२६।५८. दसा० ६२।२८. प० १०. व० १०॥३ व०६।१७,१६,२१,२३,२५,२७,२६ साहण (साधन) द० ५।१२. उ० २३।३१,३३ साहारणसरीर (साधारणशरीर) उ० ३६।६३, साहणिय (संहत्य) व० १११५. नि० २०११५ से साहाविय (स्वाभाविक) प० ३८ साहम्मिणी (सार्धामनी) व० ५।११ से १४ साहिय (साधिक) नं० १८१५ साहम्मिय (सार्धामक) द. १०१६. दसा० ४।२३.। साहिय (साधित) नं० ३८।१० क० ४।३. व० ११२० से २२, ३३, २०१ से ४, साहिगरण (साधिकरण) क० ६।१५. व. २११४. २४; ४११ से १४,१८,१६,२४,२५,७।२२; नि० १०११४ ८.१३,१५,१०॥४०,४१. नि० २१४४ साहिल्लया (सहाय्य) दसा० ४।१६,२१ साहम्मियत्त (सार्मिकत्व) दसा० ४।१७ साहीण (स्वाधीन) द० २।३. उ० १४११६ साहम्मोवणीय (साधोपनीत) अ० ५३८,५३९, साहु (साधु) आ० १३१; ४१२,८,९. द० ११३,५; ५४२ ५१५,६२,६४ से ६६.१४३; ६।१२; ७।४८, साहर (सं+ह)-साहरइ प० १०. व०६।४५. ४६% ८.५२; ६।५१. चू० २।४. उ० ११३६% -साहरंति प० ५१. साहराहि प० १४. ५।२०, ८१६; ६।५७; १२३७; १३।२७,३४; -साहरिएमि प०१६. –साहरिज्जिसामि १९७; २०१४,१३; २३१२८,३४,३६,४४,४६, प०१६ ५४,५६,६४,६६,७४,७६,८५; २५।१५; साहरावित्तए (संहारयितुम्) प० १४ २६१४; २७।१२; ३६।२६५. नं० ३८।११. साहरिज्जमाण (संहियमाण) ५० १६,१८ जोनं० १०. अ० ५३२,५३६,५४२,७१५॥६. साहरित (संहृत) दसा० ८।१. प० १ दसा० १०।२२ से ३२. व० २।२४ साहरित्ता (संहृत्य) प० १४ साहुक्कार (साधुकार) नं० ३८८ साहरिय (संहृत) प० १,१७,५१ साहुणी (साध्वी) आ० ४१८. जोनं० १० साहस (साहस) द० ६।३६ साहुधम्म (साधुधर्म) उ० ८।८ साहसिय (साहसिक) उ० २३।५५,५८, ३४।२१ साहुवयण (साधुवचन) आ० ६२,३ साहस्सिय (साहसिक) उ० ३४१२४. दसा०६३ सिंग (शङ्ग) उ० ११।१६. अ० ५२५. प० २२ साहस्सी (साहस्री) उ० २२।२३; २३:१६. ५०६, सिंगपाय (शृंगपात्र) नि० १११ से ३ । १५,६५,६३ से १६,११७,११८,१६२,१३३, सिंगबंधण (शृंगबन्धन) नि० ११४ से ६ १३५,१६८ से १७१,१७८ सिंगबेर (शंगबेर) द० ३।७; ५७०. उ० ३६।९६. सिगबर (शुगर) साहा (शाखा) द०४ सू० २१, ६।३७,८१६; नि० ११११६ ६।१८. उ० १४१२६. ० ३०८।४. प० १८७, सिंगबेरचुण्ण (शृंगबेरचूर्ण) नि० १११६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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