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________________ सागारिय-सामुद्द २६६ सागारिय (सागारिक) क० १।२२ से २५, २०१३, १८ से २७; ३।२६,२७, ४।२५. व० ७।२२ से २४; ८1८,९८१ से ३४. नि० २।४८,५४, ५५; ५११७,१८,२१ से २३;१६३१ सागारियकड (सागारिककृत) क० ४।२५ सागारियकुल (सागारिककूल) नि० २।४७ सागारियपिंड (सागारिपिंड) दसा० २।३; क० २०१४ से १७. नि० २।४५,४६ सागारियागार (सागारिकाकार) आ० ६।४,५ सागरोवउत्त (साकारोपयुक्त) उ० २६७४ सागरोवम (सागरोपम) दचू० १।१५. उ० ३३।२२,३६।१६० से १६६,२२४,२२६ से २३०,२३२,२३४ से २३६,२४२,२४४. अ० २१६,४१८,४२३,४२५,४३०,४३२,४३३, ४३७,४४०,५६६,६१६. प० २,१०६,१२७, १४६ से १५६,१६१,१८१ साडी (साटी) नं० ३८७ साण (श्वान) आ० ४१६. द० ५।१२,२२. उ० ११६. अ० ५४६ साणय (सानक) क० २।२८,२६ साणी (शाणी) द० ५॥१८ साणुप्पाय (३०) नि० ४११०८ सात (सात) प० ३२ साति (साचि) दसा० ६।३ साति (स्वाति) अ० ३४१।२. दसा० ८।१ सातिज्ज (स्वाद)–सातिज्जति नि० ११ साभाविय (स्वाभाविक) प०६ साम (श्याम) उ० १९५४ सामइय (सामयिक) नं० ५०,७५ सामंत (सामन्त) द० २६,११. प० ६६ सामज्ज (श्यामार्य) नं० गा० २६ सामणिय (श्रामण्य) द० ७।५६ सामण्ण (श्रामण्य) द० २११,४।२८,१०,१३०. चू० १६. उ० २।१६,३३, ६।६१:१८।४६; १६८,२४,३४,७५,६५, २०१८२२४५,४७; ३६।२५०. अ० ५५७. प० २८३. क० ११३४ सामण्णपरियाय (श्रामण्यपर्याय) दसा० १०॥३२. ५० १०६,१२४,१३८,१८० सामण्णपुव्वय (श्रामण्यपूर्वक) द० २ सामन्नदिट्ठ (सामान्यदृष्ट) अ० ५२७,५२८ सामलेर (शाबलेय) प० ५४४ सामवेय (सामवेद) प०६ सामा (श्यामा) अ० ३०७।१३,३११,३१६ सामाइय (सामायिक) आ० १, ११२,४।१,३; ५।१,२. उ०२८।३२. जोनं० ६. अ० ७२, ७४,७५,६६६ से ७०८, ७१४. दसा० ६६ से १८ सामाइय (सामाजिक) उ० ११।२६ ।। सामाइयंग (सामायिकाङ्ग) उ० ५।२३ सामाइयचरित्त (सामायिकचरित्र) अ० ५५३ सामाइयचरित्तलद्धि (सामायिकचरित्रलब्धि) अ० २८५ सामाइयसंजयकप्पट्ठिति (सामायिकसंयतकल्पस्थिति) क०६।१० सामाग (श्यामाक) ५० ८१ सामाचारी (सामाचारी) उ० २६; २६।१,४,७, ५२. अ० २३६ सामाण (सामान) नं० १०२ सामाण (सन्निहित) क० ३।१३ सामाणिय (सामानिक) अ० ७०८. ५०६ सामायारिय (सामाचारिक) अ०१०१,२३८,२४१ सामासिय (सामासिक) अ० ३४६,३५०,३५७ सामि (स्वामिन् ) उ० २।३८. दसा० ५।६६।१; १०४,६,१०,१२,२४. ५० ३७,३६,४१,४३, सामिणी (स्वामिनी) द०७।१६ सामित्त (स्वामित्व) दसा० १०॥१८. प०६ सामिय (स्वामिक) द०७११६. प०५१ सामिसंबंध (स्वामिसम्बन्ध) अ० ३०८।५ सामुदाणिय (सामुदानिक) उ० १७।१६ सामुद्द (सामुद्र) द० ३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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