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________________ संसारत्थ-सचेल २८५ प०८० सक्कराभा (शर्करामा) उ० ३६।१५६ समारस्थ (संसारस्थ) उ० ३६।४८,६८,२४८. सककार (सत्कार) उ० ३५।१८. ५० ५२,६६,६० अ० २७५ संसारपडिग्गह (संसारप्रतिग्रह) नं०६४ से १०० सक्कार (सत्+कृ)-सक्कारए द०६।१२. संमारमायर (संसारसागर) द० ६१६५ -सक्कारेइ प०४८.-सक्कारेंति द० ४।३२ संसिय (संश्रित) अ० ३७५,३७७,३८१,३८३ प० ६६.-सक्कारेज्जा व० १०१२. सिंसिव्व (सं+सीव) संसिव्वेति नि० ११५३ -सक्कारेति दसा० १०७.-सक्कारेमो मंसिव्वेंत (संसीवत) नि० ११५३ दसा० १०।११ मंसुद्ध (संशुद्ध) आ० ४१६. दसा० १०।२४ से ३३ सक्कारण (सत्करण) द०१०।१७ संसे इम (संस्वेदज) द० ४।६. नि. १७।१३३ मक्कारपुरक्कार (सत्कारपुरस्कार) उ० २ सू० ३ सक्कारिय (सत्कारित) प० ४५ संसे इम (संस्वेदज,संस्वेद्य) द० ५७५. प० २४५ सक्कारेत्ता (सत्कृत्य) दसा० १०७. प० ४८ संहरण (संहरण) प० १२७ सक्किय (सत्कृत) उ० १२५ सहर्ष ( ) अ० ३६७ सक्कुलि (शकुलि) द० २७१. क० २।८ संहिता (संहिता) अ० ७१४ सक्ख (सख्य) उ०१४।२७ संहिय (संहित) ५०२४ सकय (सकृत्) नि० २०११५ से १८ सक्खं (साक्षात्) उ० २।४२ सग (स्वक) उ० २०१२६,२७. अ० ४०५ सकय (स्वकृत) व० १११५ से १८ सगड (शकट) अ० ३३२,३६२. दसा० ६।३ सकाम (सकाम) उ० ५।३ सगडग (शकटक) अनं० १४ सकाममरण (सकाममरण) उ० ५।२,१७,३२ सगडमुह (शकटमुख) प० १६६ सकुंत (शकुन्त) अ० ३२१ सगणिच्चिया (स्वगणीया) नि० ८।११ सकुलिया (दे० शकुनिका) अ० ३२१ सगद्दिया (शकभद्रिका) नं० ६७. अ० ४६,५४८ सकोरंट (सकोरण्ट) दसा० १०॥३,११,१५ सगर (सगर) उ० १८१३५ सकोरेंट (सकोरण्ट) प०४२ सगास (सकाश) द० ५८८,६०,१५०, ८१४४; सक्क (शक) उ०६।६,५९,६१,१११२३; ६१. उ० १२।१६,४५ १८।४४. प०८,११,१४,१५,१७,५१ सगोत्त (सगोत्र) नंगा० २५. प० १४,१७,१६, सक्क (शक्त) अ० ३६८. नि० १४।६।१८।३८ १८६ से १८८,१६२,१६३,१६.६,१६८ से सक्क (शक्य) द०६।४६ २०३,२०६ से २०६,२१५ सिक्क (शक्)-सक्केइ उ० ४।१० सचित्त (सचित्त) अनं० ११,१२,१५,१६,१६,२०. सक्कणिज्ज (शकनीय) दचू० २११२ अ० ६२,६३,८६,८७,६०,३२६,३३०,६५३, सक्कय (संस्कृत) अ० ३०७।११ ६५४,६५७,६५८,६६१,६६२,६७६,६८०, सक्कर (शर्करा) दसा० ७।१८. ०६।३,५ ६८३,६८४,६८७,६८८. दसा०६।१३ से १८ सक्करप्पभा (शर्कराप्रभा) अ० १८१,१८२,२८७ नि० १११०,५१ से ११,२५ से २७; सक्करप्पभाय (शर्कराप्रभाज) अ० २५४ १२।१०; १५५ से १२; १६।४ से ११ सक्करा (शर्करा) द० ५८४. उ० ३४११५; सचित्तकम्म (सचित्रकर्मन) प० २०. क० ११२० ३६।७३. नि० ६१७६; १७ सचेल (सचेल) उ० २।१३. नि० ११८८,८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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