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________________ २६२ वावहारियपरमाणु-विआहा वावहारियपरमाणु (व्यावहारिकपरमाणु) अ० वामावासिय (वर्षावार्षिक) नि० २।५०,५१ ३६६ वासि (वासिन्) ५० २४ वावी (वापी) अ० ३६२. नि० १२।१८; १७।१४० वासि? (वाशिष्ठ) प० १४,१७,१६,६६,१८३, वास (वर्ष) द० ५१८, चू०२।११. उ० ३।१५; १८७,१६२.१६६,२०१,२२२ ४।८;७।१३, १२॥३६; १८.३४,३६,३८,४०, वासिट्टिया (वाशिष्ठिका) प० २०१ ४१, १६९५; २२।३३,३४१४१,४८,५३; वासिट्टी (वाशिष्ठी) उ० १४१२६ ३६।८,८८,१०२,१२२,१३२.१६०,२१६ से वासिय (वासित) उ० ३५१४. प० २१ २२१,२५० से २५२. न० १८१५,२३. अ० वासी (वासी) उ० १६६२.५०८० २१६,२८७,४१०,४१७,४२६. दसा०६।४; वासीमुह (दे०) उ० ३६।१२८ १०११८,२६ से ३३. प० २,१४.१५,१७,५७, वासुदेव (वासुदेव) उ०११।२१, २२१८,१०,२५, •७३,७७,८४,८६ से ६१,१०६,१०७,१०६, ३१. अ० ३३६.५४२. दसा०६।३,७. ११२,१२४,१२५,१२८ से १३०,१३७ से प० ११,१२,१४,४७ १४३,१५१ से १५६,१६१,१६६,१८०,१८१, वासुदेवगंडिया (वासुदेवकण्डिका) नं० १२१ २२३ से २३० वासुपुज्ज (वासुपूज्य) आ० २।३।५।४।३. नं० गा० १८. अ० २२७. प० १४६ वास (वास) दचू०१ सू० १. उ०१४।२९%) वाह (वाह) अ० ३७४ १६४८३; २६।४,८,८४; २५:३; ३५१६,७. -वाह (वाहय्)-वाहेइ उ० १७।१६. नि० २०३६ __-वाहेति नि० १२।१३ विास (वास्)-वासिंसु प० ६१ वाहण (वाहन) उ०६।४६; १८।१. दसा० ६।३; वासंग (व्यासंग) ५० ३२ १०।१०,१६. प०८,३८,४७,५२,६४,७४,७५ वासंत (वर्षत्) द० ५।८. उ० २२०३३ वाहणसाला (वाहनशाला) दसा० १०११० वासंतिय (वासन्तिक) प० २५ वाह्य (वाहक) उ० ११३७; १०।३३ वासघर (वासगृह) प० २०,४६ वाहर (वि---आ+ह)-वाहराहि उ०१८।१० वासधर (वर्षधर) अ० २८७,४३१,४३३,६१५ वाहरमाण (ब्धाहरत्) दसा० ३।३ वासयंत (वासयत्) प० २५ वाहि (व्याधि) द० ८।३५. उ० १६।१४,१६; वाससइ (वर्षशतिका) द० ८।५५ २३८१; ३२।१२. अ० ३१७ वासहर (वर्षधर) अ० १८५॥३,४१० वाहित्त (व्याहृत) उ० १।२० वासा (वर्षा) द० ३।१२. प० ६१,१६३,२८५ वाहिम (वाह्य) द० ७।२४ वासारत्तय (वर्षा रात्रज) अ० ३३४ वाहिय (वाहित) द०६।६,५६,६०,७१२ वासि (वासिन्) उ० १२।८; १४।१ उ. १९०६३ वासावास (वर्षावास) दमा० ४।१३. प० ८०,८३, वाह्यि (व्याधित) क० ३१२२ ८४.२२३ से २६२,२७१ से २८६. क० ११३५; वाहेंत (वाहयत) नि० १२।१३; १८:१४ १३,१०,४१२६,३३।३४; ५।१५. व० ४।५ से वि (अपि) दसा० ६।२. क० ११३७. व० १११५ ८,१०,१२; ८।३; १०॥३. नि० १०.३५; विभाल (विकाल) दसा० ३।३ १४१४१,१८१७३ विआहा (वि+आ+ख्या)-विआहिज्जति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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